Farming – इस बार उनकी कद्दू की फसल बहुत अच्छी हुई है। अभी तक वे 500 क्विंटल कद्दू की फसल को बेच चुके हैं। इससे उनकी अच्छी खासी कमाई हुई है। और इस फसल को बेचने के बाद अब किसान काफी खुश नजर आ रहे है।
किसान पारंपरिक फसलों के अलावा बागवानी भी कर रहे | Farming
झारखंड में किसान पारंपरिक फसलों के साथ – साथ बागवानी फसलों की खेती में भी रूचि ले रहे हैं। इससे किसानों को अच्छा खासा फायदा भी हो रहा है। किसान आलू, टमाटर, गोभी, प्याज, भिंडी, पालक, लौकी, लाल साग और शिमला मिर्च की ही खेती नहीं कर रहे हैं |
बल्कि बड़े स्तर पर कद्दू की भी खेती रहे हैं। पश्चिमी जिले में कई किसानों ने कद्दू को उगाकर लोगों के सामने मिसाल कायम कर दी है। किसानों के द्वारा उपजा गए कोहरे की मांग दूसरे और राज्यों में भी हो रही है। इससे किसानों को लाखों का फायदा हो रहा है।
कद्दू की फसल में सिंचाई कम करनी पड़ती है
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार जिले के आनंदपुर और मनोहरपुर प्रखंड में काफी संख्या में किसान कद्दू की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी इनकम बढ़ गई है।
इन दोनों प्रखंड में किसान रबी की फसल की कटाई करने के बाद तुरंत ही कद्दू की बुवाई कर देते हैं। ये किसान जल प्रवाह के नजदीक कद्दू की बुवाई करते हैं। ऐसे में उन्हें सिंचाई भी बहुत कम करनी पड़ती है। वहीं, कम समय में फसल भी तैयार हो जाती है।
कद्दू की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ गई है | Farming
इस बार उनकी कद्दू की फसल अच्छी हुई है। अभी तक वे लगभग 500 क्विंटल कद्दू की फसल को बेच चुके हैं। इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई भी हुई है। उनका कहना है कि अभी खेत में काफी मात्रा में कद्दू लगे हुए हैं, जिन्हें तोड़ा जाना अभी भी बाकी है।
जिससे ज्यादा फायदा भी नहीं होता था। लेकिन कद्दू की खेती से किसानों की आमदनी भी बढ़ गई। वे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।
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कद्दू की खेती से किसानो की बदली किस्मत
वहीं, दोनों प्रखंडों में कद्दू की खेती किसानों के लिए अब एक रोजगार का मुख्य साधन बन गई है। हालांकि, पहले किसान पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। अब खेती की नई तकनीक अपनाने से कम लागत में ज्यादा फायदा हो रहा है।
किसानों को कद्दू की खेती करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। साथ ही सिंचाई के लिए पाइप और कद्दू के बीज भी उपलब्ध कराए जाते हैं। यहां पर छोटे और सीमांत किसान को औसतन 15 से 20 टन कद्दू का उत्पादन भी कर रहे हैं |
जबकि बड़े किसान 60 टन तक कद्दू का उत्पाद कर रहे हैं। इन किसानों से दूसरे राज्य से व्यापारी आकर कद्दू खरीद रहे हैं। वहीं, व्यापारियों द्वारा किसानों को कद्दू की फसलों का भुगतान भी ऑनलाइन किया जाता है।
Source – Internet
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