Free treatment: यह योजना सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को समय पर इलाज देने के लिए एक बड़ी पहल है। मार्च 2025 से लागू होने वाली इस स्कीम के तहत सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल को 1.5 लाख रुपए तक का फ्री और कैशलेस इलाज देना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य गोल्डन ऑवर के दौरान तुरंत इलाज देकर जान बचाना है।
योजना की प्रमुख बातें:
✔ कैशलेस इलाज – एक्सीडेंट के बाद घायलों को अस्पताल में एडमिट कराने पर तुरंत इलाज शुरू होगा, कोई एडवांस फीस नहीं ली जाएगी।
✔ सभी अस्पताल शामिल – प्राइवेट और सरकारी दोनों हॉस्पिटल यह सेवा देंगे।
✔ NHAI नोडल एजेंसी – खर्च का भुगतान अस्पतालों को NHAI (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा किया जाएगा।
✔ डेढ़ लाख तक का इलाज फ्री – यदि खर्च 1.5 लाख से ज्यादा होता है, तो अतिरिक्त रकम मरीज या परिजनों को खुद देनी होगी।
✔ पायलट प्रोजेक्ट सफल – यह योजना पहले छह राज्यों में ट्रायल के तौर पर लागू की गई थी, जो सफल रही।
✔ भविष्य में राशि बढ़ने की संभावना – सरकार इसे 2 लाख तक करने पर विचार कर रही है।
योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
- 2023 में 1.5 लाख लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई।
- 2024 में (जनवरी-अक्टूबर) 1.2 लाख मौतें दर्ज हुईं।
- करीब 30-40% लोग इलाज में देरी के कारण दम तोड़ देते हैं।
- दुर्घटना के बाद औसतन 50,000 से 2 लाख का खर्च आता है, गंभीर मामलों में 5-10 लाख तक भी जा सकता है।
- सरकार को सालाना 10 हजार करोड़ रु. का खर्च उठाना पड़ सकता है।
इससे जनता को क्या फायदा होगा?
✅ किसी भी सड़क दुर्घटना में घायल को तुरंत इलाज मिलेगा।
✅ परिजनों के बिना भी इलाज संभव होगा, कोई एडवांस फीस नहीं लगेगी।
✅ छोटे-बड़े सभी अस्पताल इसमें शामिल होंगे।
✅ एक्सीडेंट के बाद इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी।
कुछ सवाल जो आ सकते हैं:
❓ क्या सभी राज्यों में लागू होगी?
👉 हां, इसे देशभर में लागू किया जाएगा।
❓ क्या हॉस्पिटल इलाज देने से मना कर सकते हैं?
👉 नहीं, सरकारी और प्राइवेट दोनों को इलाज देना अनिवार्य होगा।
❓ अगर खर्च 1.5 लाख से ज्यादा हो गया तो क्या होगा?
👉 अतिरिक्त खर्च मरीज या उसके परिजन को वहन करना होगा।
यह योजना एक्सीडेंट में घायलों की जान बचाने में बेहद क्रांतिकारी साबित हो सकती है। सरकार इस स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए फंडिंग और कवरेज बढ़ाने पर विचार कर रही है।
source internet… साभार….
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