Holi: वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर होली का अनोखा रंग देखने को मिल रहा है—मसाने की होली। यहां चिताओं की राख, डमरू की गूंज और शिवभक्तों के तांडव के बीच यह उत्सव मनाया जा रहा है।
🔹 “खेले मसाने में होरी…” की धुन पर श्रद्धालु झूम रहे हैं।
🔹 शिव और मां काली का रूप धारण किए कलाकार नृत्य कर रहे हैं।
🔹 नागा साधु चिताओं की भस्म से होली खेल रहे हैं।
चिताओं के बीच होली: गम और खुशी का अनोखा संगम ☯️
जहां आम इंसान चिता की राख से दूर भागता है, वहीं इस अनोखी होली में श्रद्धालु एक चुटकी राख के लिए घंटों इंतजार करते हैं।
📍 घाट पर उमड़ा जनसैलाब:
- कीनाराम आश्रम से निकली शिव बारात ने माहौल को भक्तिमय कर दिया।
- शिवभक्त हरिश्चंद्र घाट तक 2 किमी लंबी यात्रा कर रहे हैं।
- घाट पर जलती चिताओं के बीच नागा संन्यासी भस्म की होली खेलते हैं।
विदेशियों में भी दिखा उत्साह 🌍
🌏 20 देशों से आए करीब 5 लाख पर्यटक इस अनूठी होली को देखने पहुंचे।
🗣️ एक विदेशी युवक ने कहा, “मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। यह अनुभव अविश्वसनीय है।”
📜 महिलाओं के लिए प्रतिबंध:
- इस बार महिलाओं को चिता भस्म की होली में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है।
- आयोजन समिति ने इस फैसले को परंपराओं से जोड़कर देखा है।
मसाने की होली का महत्व
यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का दर्शन है। यह हमें सिखाता है कि:
☸️ मृत्यु भी उत्सव है।
☸️ सब कुछ नश्वर है, लेकिन भक्ति और प्रेम शाश्वत हैं।
☸️ शिव के भक्त जीवन और मृत्यु दोनों को समान रूप से स्वीकार करते हैं।
source internet… साभार….
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