Historical debate: यह याचिका एक महत्वपूर्ण संवैधानिक और ऐतिहासिक बहस को फिर से जीवंत कर रही है। संविधान के अनुच्छेद 1 में वर्तमान में लिखा है:
👉 “इंडिया, जो भारत है, राज्यों का संघ होगा।”
याचिकाकर्ता नमह का तर्क है कि “इंडिया” शब्द औपनिवेशिक विरासत का हिस्सा है और इसे हटाकर केवल “भारत” या “हिंदुस्तान” कर देना चाहिए।
याचिका पर अब तक की सुनवाई:
📌 4 फरवरी 2024 – कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंत्रालय से निर्देश लेने का समय दिया।
📌 17 फरवरी 2024 – केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ाया गया।
📌 11 मार्च 2024 – दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई।
इतिहास में “इंडिया” नाम का विरोध:
📜 15 नवंबर 1948 को संविधान सभा में इस पर चर्चा हुई थी।
📜 एम. अनंतशयनम अयंगर और सेठ गोविंद दास ने “इंडिया” नाम का विरोध किया था।
📜 उस समय “भारत”, “भारतवर्ष” या “हिंदुस्तान” नाम रखने का सुझाव दिया गया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही कर चुका है सुनवाई
🔹 2020 में सुप्रीम कोर्ट में भी इसी विषय पर याचिका दाखिल हुई थी।
🔹 कोर्ट ने केंद्र सरकार को संज्ञान लेने का निर्देश दिया था।
🔹 लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
केंद्र सरकार का रुख क्या होगा?
➡️ सरकार ने पहले G20 सम्मेलनों में “भारत” नाम का उपयोग किया था।
➡️ संविधान संशोधन एक बड़ा कदम होगा, जिसके लिए संसद की मंजूरी जरूरी होगी।
➡️ राजनीतिक और कानूनी बहस छिड़ सकती है, क्योंकि कई राज्यों में अलग-अलग भाषाई और सांस्कृतिक पहचान हैं।
अब देखना होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट इस पर क्या निर्णय देती है और क्या यह मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचता है। ⚖️
source internet… साभार….
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