Indus Water Treaty: नई दिल्ली — भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने के बाद, पाकिस्तान ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए भारत को चार पत्र भेजे हैं। पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने ये पत्र भारत के जल शक्ति मंत्रालय को भेजे, जिनमें से तीन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भेजे गए थे।
भारत ने 23 अप्रैल को, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद, सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा की थी। इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हुई थी, और भारत ने इसके लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया था। भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त नहीं करता, तब तक संधि स्थगित रहेगी।
पाकिस्तान ने इन पत्रों में तर्क दिया कि भारत का यह कदम संधि के प्रावधानों का उल्लंघन है, क्योंकि संधि को एकतरफा निलंबित नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान ने विश्व बैंक से भी हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन उसे कोई सहायता नहीं मिली। भारत ने पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — के जल प्रवाह से संबंधित सभी डेटा साझा करना भी बंद कर दिया है। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति गंभीर है, क्योंकि उसकी सिंचाई प्रणाली का लगभग 80% हिस्सा इन नदियों पर निर्भर है। विशेषज्ञों के अनुसार, संधि का स्थगन पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कृषि और खाद्य सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। पाकिस्तानी नेताओं ने चेतावनी दी है कि जल प्रवाह में किसी भी कटौती को ‘युद्ध का कार्य’ माना जाएगा। भारत ने अभी तक पाकिस्तान के पत्रों का कोई उत्तर नहीं दिया है और अपने निर्णय पर अडिग है। यह पहली बार है जब 1960 में हस्ताक्षरित यह संधि, जो चार युद्धों के दौरान भी प्रभावी रही थी, स्थगित की गई है।
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