ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर भारत
Green Mission: नई दिल्ली | भारत हर साल करीब ₹22 लाख करोड़ रुपये कच्चे तेल के आयात पर खर्च करता है। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ डालता है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा को भी खतरे में डालता है। लेकिन अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस स्थिति को बदलने के मिशन मोड में हैं। उनका स्पष्ट लक्ष्य है— भारत को ऊर्जा आयातक से ऊर्जा निर्यातक बनाना।
विकल्प: चार स्तंभों पर टिकी नई ऊर्जा रणनीति
गडकरी की ऊर्जा रणनीति चार प्रमुख विकल्पीय ईंधनों पर आधारित है:
- ग्रीन हाइड्रोजन (सौर/पवन ऊर्जा से निर्मित),
- इथेनॉल और फ्लेक्स-फ्यूल,
- कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG),
- इसोब्यूटेनॉल डीजल मिश्रित फ्यूल।
उन्होंने देश के स्टार्टअप्स, वैज्ञानिकों और उद्योगों से कचरा, बांस और गोबर जैसे स्थानीय संसाधनों से हाइड्रोजन बनाने के सस्ते और व्यावहारिक उपाय खोजने की अपील की है।
भारत का भविष्य: ग्रीन हाइड्रोजन और स्वदेशी ईंधन
गडकरी ने कहा:
“ग्रीन हाइड्रोजन भारत का भविष्य है, लेकिन इसे जनसामान्य के लिए सुलभ बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। हमें विदेशी तेल पर निर्भरता खत्म करनी होगी।”
एनटीपीसी और कई निजी कंपनियां पहले ही बायो-हाइड्रोजन और बायो-CNG जैसे विकल्पों पर पायलट प्रोजेक्ट चला रही हैं। सरकार इन्हें नीति और निवेश के स्तर पर समर्थन दे रही है।
इथेनॉल मिशन की गति तेज
भारत ने 20% इथेनॉल मिश्रण वाला पेट्रोल पूरे देश में लागू कर दिया है। इससे न सिर्फ आयात घटेगा, बल्कि किसानों को आय का नया स्रोत भी मिलेगा।
इसके साथ ही गडकरी ने बताया कि देश में जल्द ही फ्लेक्स-फ्यूल हाइब्रिड कारें आम होंगी, जैसे टोयोटा इनोवा हायक्रॉस का प्रोटोटाइप दिखाया जा चुका है।
🏭 पांच वर्षों में ऑटो सेक्टर बनेगा नंबर वन
गडकरी का अगला बड़ा लक्ष्य है— भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को दुनिया में नंबर वन बनाना। वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है। सरकार चाहती है कि अगले 5 सालों में यह अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ दे। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कंपनियां हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक, इथेनॉल और बायोगैस आधारित वाहनों में तेजी से निवेश कर रही हैं। आने वाले वर्षों में भारत में हाइड्रोजन ट्रक, इथेनॉल कारें और बायोगैस ट्रांसपोर्ट सिस्टम आम हो जाएंगे।
आत्मनिर्भर भारत के लिए हरित ऊर्जा जरूरी
गडकरी ने जोर देकर कहा कि “हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो स्वदेशी और सतत ऊर्जा संसाधनों को अपनाना ही होगा। यह न केवल अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक है, बल्कि पर्यावरण और रोजगार दोनों के लिए भी अनिवार्य है।”
साभार…
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