Tuesday , 4 November 2025
Home Uncategorized Unique discovery: वैज्ञानिकों की अनोखी खोज: केले के छिलके और प्लास्टिक से तैयार किया सस्ता और दमदार डीजल
Uncategorized

Unique discovery: वैज्ञानिकों की अनोखी खोज: केले के छिलके और प्लास्टिक से तैयार किया सस्ता और दमदार डीजल

वैज्ञानिकों की अनोखी खोज: केले के छिलके

Unique discovery: भोपाल। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) भोपाल के वैज्ञानिकों ने एक बेहद उपयोगी और क्रांतिकारी खोज की है। यहां के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने केले के छिलके और प्लास्टिक कचरे से बायो-डीजल तैयार करने की तकनीक विकसित की है। यह ईंधन न केवल सस्ता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित और डीजल वाहनों में प्रभावी रूप से काम करता है।

इस खोज को अंजाम दिया है असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शंकर चाकमा के नेतृत्व में। उनकी टीम में बबलू अलावा और अमन कुमार शामिल रहे।


🔬 को-पायरोलीसिस तकनीक से तैयार किया बायो-डीजल

वैज्ञानिकों ने इस शोध में को-पायरोलीसिस (Co-pyrolysis) तकनीक का इस्तेमाल किया है। इसके तहत केले के छिलके और प्लास्टिक कचरे को 25:75 के अनुपात में मिलाकर विशेष तापमान पर गर्म किया गया, जिससे पायरो-ऑयल यानी तरल बायोफ्यूल प्राप्त हुआ।

  • 1 किलो मिश्रित कचरे से मिला:
    • 850 ग्राम तरल ईंधन
    • 140 ग्राम गैस
    • 10 ग्राम चारकोल

गैस को खाना पकाने में और चारकोल को जल शुद्धिकरण में उपयोग किया जा सकता है, जबकि तरल ईंधन को डीजल के विकल्प के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है।


🚗 डीजल इंजनों में सफल टेस्टिंग, कम ईंधन की खपत

शोधकर्ताओं ने इस वैकल्पिक ईंधन को डीजल इंजनों में मिलाकर (20% मिश्रण तक) सफलतापूर्वक टेस्ट किया है। नतीजे चौंकाने वाले रहे:

  • ईंधन की खपत घटी
  • ब्रेक थर्मल एफिशिएंसी (BTE) में बढ़ोतरी
  • प्रदर्शन में डीजल के बराबर या उससे बेहतर

इसका मतलब है कि यह ईंधन डीजल से न सिर्फ सस्ता, बल्कि ज्यादा कारगर भी है।


🧪 पायरो-ऑयल में क्या होता है?

इस ईंधन में कई प्रकार के हाइड्रोकार्बन यौगिक पाए जाते हैं:

  • ओलेफिन, पैराफिन, एरोमैटिक्स, एस्टर और अल्कोहल
  • लगभग 12% ऑक्सीजन युक्त यौगिक
  • ऊष्मा क्षमता: लगभग 55 मेगाजूल/किलोग्राम, जो कि पारंपरिक डीजल से अधिक है

🌍 स्वच्छ भारत मिशन और वेस्ट टू वैल्यू मॉडल को बढ़ावा

यह खोज कचरे से मूल्यवान वस्तु (Waste-to-Value) बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे प्लास्टिक प्रदूषण में कमी, जैव अपशिष्ट का उपयोग और स्वच्छ भारत मिशन को प्रोत्साहन मिलेगा।

शोध को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी मिली है—इसे ‘Journal of the Energy Institute’ और ‘Energy Nexus’ जैसी प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।


🗣️ क्या बोले वैज्ञानिक?

डॉ. शंकर चाकमा ने कहा,

“हमारा उद्देश्य था कि प्लास्टिक और जैविक कचरे से ऐसा ईंधन तैयार करें जो व्यावहारिक, टिकाऊ और किफायती हो। यह सिर्फ विज्ञान नहीं, समाज की सेवा भी है।”
साभार…. 

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Oppose: भगवान झूलेलाल के अपमान पर सिंधी पंचायत ने जताया विरोध

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन Oppose: बैतूल। पूज्य सिंधी पंचायत...

Betulwani expose: जेल के सैप्टिक टैंक के गंदे पानी का आनंद ले रहा शहर

Betulwani expose: बैतूल। जिला मुख्यालय के लल्ली चौक क्षेत्र में पिछले कई...

Fine: नपाध्यक्ष की स्कॉर्पियो से लगा हूटर हटाया

मोबाइल कोर्ट ने पांच हजार रुपए का किया जुर्माना Fine: बैतूल। नगर...

Death of an innocent: कफ सिरप से मासूम की मौत: बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर पर पिलाई दवा

मां बोली– “जिसे दवा समझा, वही जहर निकली Death of an innocent:...