Rare coincidence: उज्जैन। इस साल 9 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व 297 साल बाद बन रहे दुर्लभ ग्रह योग में मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 1728 में बना यह अद्वितीय संयोग एक बार फिर दोहराया जा रहा है। इस दिन सूर्य कर्क, चंद्र मकर, मंगल कन्या, बुध कर्क, गुरु व शुक्र मिथुन, राहु कुंभ और केतु सिंह राशि में रहेंगे। ऐसे योग को शास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायी और शुभ माना गया है।
पंडित अमर डिब्बेवाला ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन भद्रा काल से पूरी तरह मुक्त रहेगा। सुबह से दोपहर 2:40 बजे तक श्रवण नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जिसमें रक्षा सूत्र बांधना अत्यंत मंगलकारी होगा। इसके बाद भी शाम को शुभ योग रहेंगे।
पर्व की शुरुआत परंपरा अनुसार महाकाल मंदिर से होगी। शनिवार तड़के 3 बजे सबसे पहले बाबा महाकाल को राखी अर्पित की जाएगी। यह विशेष राखी पुजारी परिवार की महिलाएं तीन दिन से तैयार कर रही हैं, जिसमें मखमल का कपड़ा, रेशमी धागा, मोती और भगवान गणेश की प्रतिमा का उपयोग किया गया है। राखी अर्पण के बाद बाबा को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया जाएगा। मंदिर समिति के अनुसार, ये लड्डू शुद्ध देसी घी, बेसन, शक्कर और ड्रायफ्रूट से बनाए जा रहे हैं। मान्यता है कि हिंदू परंपरा के सभी पर्वों की शुरुआत महाकाल मंदिर से ही होती है, इसलिए यहां से राखी का पर्व प्रारंभ होना शुभ माना जाता है। इस वर्ष का रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होगा, बल्कि दुर्लभ ग्रह योग और भद्रा मुक्त काल के कारण इसे शताब्दी का सबसे शुभ पर्व भी माना जा रहा है।
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