Commission: भोपाल। मध्यप्रदेश में 2027 में होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों से पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को राज्य परिसीमन आयोग गठित करने की सिफारिश भेजी है। यदि सरकार प्रस्ताव मान लेती है तो नगर निगम के महापौर, नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष, पंच-सरपंच, जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों का आरक्षण और वार्डों का परिसीमन अब एक स्वतंत्र आयोग करेगा।
मौजूदा व्यवस्था में नगरीय निकायों का परिसीमन और आरक्षण नगरीय प्रशासन विभाग तथा पंचायतों का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग करता है। इन विभागों की भूमिका को लेकर बार-बार पक्षपात और देरी के आरोप लगते रहे हैं, जिनमें कई मामले कोर्ट तक पहुंचे।
प्रस्तावित ड्राफ्ट के अनुसार नया आयोग केंद्रीय परिसीमन आयोग की तर्ज पर काम करेगा। अध्यक्ष के रूप में मुख्य सचिव रैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे, जबकि तीन सदस्य सचिव स्तर से रिटायर अफसर होंगे। नगरीय विकास और पंचायत विभाग के अपर मुख्य सचिव भी सदस्य रहेंगे। आयोग के फैसलों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
आयोग की कार्यप्रणाली में प्रारूप अधिसूचना जारी करना, जनता से आपत्तियां और सुझाव लेना, उनका निराकरण करना और अंतिम आदेश को राजपत्र में प्रकाशित करना शामिल होगा। ग्रामीण क्षेत्रों का परिसीमन चुनाव से 18 महीने पहले और नगरीय निकायों का परिसीमन चुनाव से 2 महीने पहले पूरा किया जाएगा। यदि 2027 तक नई जनगणना हो जाती है तो आरक्षण नए आंकड़ों के आधार पर तय होगा, अन्यथा पुराने चक्र के अनुसार।
देश में अब तक केवल केरल ने 2024 में राज्य परिसीमन आयोग का गठन किया है, जो राज्य निर्वाचन आयोग के अधीन काम करता है। मध्यप्रदेश में आयोग बनने से परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया पर राजनीतिक हस्तक्षेप व कानूनी विवाद कम होने की उम्मीद है।
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