19 जून 2025 को ही बैतूलवाणी ने संभावना की थी व्यक्त

Political Review: बैतूल। वर्षों से देश और प्रदेश में सत्ता से दूर कांग्रेस अपने राजनैतिक उत्थान के लिए संघर्ष कर रही है। प्रदेश कांग्रेस में भी युवा नेतृत्व को मौका देकर कांग्रेस ने यह बताया कि वो अपनी खोई जमीन को वापस लाने के लिए गंभीर है, इसी कड़ी में कल मध्य प्रदेश के घोषित 71 जिला कांग्रेस अध्यक्षों की घोषित सूची में अधिकांश अध्यक्ष युवा एवं ऊर्जावान दिखाई दे रहे हैं जिनमें बैतूल शामिल है। पूर्व विधायक, प्रदेश कांग्रेस महामंत्री एवं युवा उद्योगपति निलय डागा को बैतूल जिला कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। निलय डागा के नाम की घोषणा होते ही उनके समर्थकों में हर्ष की लहर दौड़ गई। सांध्य दैनिक बैतूलवाणी ने सबसे पहले 19 जून 2025 को ही जिलाध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे दिख रहे निलय डागा शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर यह बताया दिया था कि निलय डागा की जिलाध्यक्ष बनने की संभावना सबसे अधिक है और कल 16 अगस्त को घोषित सूची में निलय डागा का नाम शामिल हुआ। इसे राजनैतिक रूप से कमलनाथ के लिए झटके के रूप में माना जा रहा है।
19 जून 2025 को ही बैतूलवाणी ने संभावना की थी व्यक्त

भोपाल से एक नाम: दिल्ली से दूसरा

कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी एवं संगठन प्रभारी सुखदेव पांसे की तिकड़ी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा जिलों के अध्यक्षों के चयन की सूची में बैतूल जिले से एकमात्र हेमंत वागद्रे का नाम भेजा था। लेकिन यह नाम दिल्ली पहुंचकर ठण्डा पड़ गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दूसरे प्रमुख दावेदार निलय डागा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणु गोपाल, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के माध्यम से अपने नाम की घोषणा करवाने में सफल रहे।
कमलनाथ का दखल खत्म होगा

1980 में छिंदवाड़ा से सांसद निर्वाचित होने के बाद कमलनाथ प्रदेश की राजनीति में मजबूत होते गए और इसी दौर में कांग्रेस के लिए बैतूल जिले के नाथ बन गए थे। जिले में कांग्रेस की हर नियुक्ति एवं लोकसभा तथा विधानसभा टिकटों में कमलनाथ की बात आखरी मानी जाती थी। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि निलय डागा के जिला कांग्रेस अध्यक्ष न बनने के लिए जिले के दूसरे गुट के नेताओं के आग्रह पर कमलनाथ ने अंतिम समय तक प्रयास किए। लेकिन कमलनाथ की बात नहीं सुनी गई और ऐसा पहली बार हुआ है। लोगों का यह भी मानना है कि कमलनाथ के विरोध के बाद निलय डागा की नियुक्ति होने से अब भविष्य में जिले की कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ का दखल समाप्त हो जाएगा।
दूसरा गुट भी नहीं हो सका सफल
2023 के विधानसभा चुनाव हार के बाद कांग्रेस ने प्रदेश संगठन में बड़ा परिवर्तन किया था और माना गया कि तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को बगैर बताए उन्हें हटाकर जीतू पटवारी को कमान सौंप दी। जिन्होंने बैतूल जिले के कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे को प्रदेश कांग्रेस संगठन में ताकतवर पद देकर यह दर्शाया कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बाद सबसे मजबूत पदाधिकारी है। इसलिए यह भी माना जा रहा था कि सुखदेव के कट्टर समर्थक हेमंत वागद्रे को बैतूल जिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद मिलना तय है लेकिन इसका उल्टा हुआ।
राजनैतिक सक्रियता के लिए जरूर था अध्यक्ष पद

2007-08 में हेमंत खण्डेलवाल सांसद बने लेकिन फिर यह सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। इसके बाद 2010 में हेमंत खण्डेलवाल बैतूल जिला भाजपा अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए। उस समय विधायक अलकेश आर्य थे। इसलिए यह माना गया कि जिले की राजनीति में पकड़ बनाए रखने के लिए हेमंत खण्डेलवाल सांसद पद के बाद जिलाध्यक्ष बने थे। ठीक यही स्थिति कांग्रेस में निलय डागा की है। 2018 में विधायक बने लेकिन 2023 में हार गए। सरकार भी नहीं बनी। वहीं कांग्रेस का दूसरा गुट निलय डागा और उनके समर्थकों को कमजोर करने में लगा रहा इसलिए राजनैतिक रूप से अपने आप को कांग्रेस की मुख्य धारा में रखने के लिए निलय डागा का जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनना जरूरी हो गया था जिससे पार्टी में पकड़ मजबूत होती एवं विरोधी कमजोर होते और ऐसा ही हुआ।
क्यों बने निलय डागा अध्यक्ष
राजनैतिक समीक्षकों का यह मानना है कि आर्थिक रूप से अति संपन्न एवं पिता स्व. विनोद डागा के संपर्कों तथा जिले के सभी पूर्व आदिवासी विधायक ब्रम्हा भलावी, धरमूसिंह, प्रताप सिंह, मुलताई के पूर्व विधायक डॉ. पंजाबराव बोडख़े, नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र जायसवाल, अजीत आर्य सहित अन्य नेताओं का समर्थन तथा पर्यवेक्षकों के सामने दमदारी से अपनी मौजूदगी बताना निलय डागा के पक्ष में गया। निलय डागा को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। सत्तारूढ़ भाजपा का एक वर्ग यह मान रहा है कि डागा की नियुक्ति से कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ेगी। वहीं भाजपा का दूसरा गुट इस नियुक्ति से अपरोक्ष रूप से खुश नजर आ रहा है। कांग्रेस में डागा समर्थक इसे अपनी बड़ी जीत मान रहे हैं कि अब कांग्रेस मजबूत होगी। वहीं असंतुष्ट गुट यह मान रहा है कि जमीन से जुड़े नेताओं की अब कांग्रेस में उपेक्षा होगी जो कांग्रेस के लिए घातक होगा।
ये थे अभी तक जिलाध्यक्ष
1978 में इंदिरा गांधी के गठन के बाद पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकृष्ण गर्ग पहले जिला कांग्रेस अध्यक्ष बने। उनके बाद पूर्व विधायक गुरुबक्श अतुलकर, वरिष्ठ नेता गयाप्रसाद मेहतो शाहपुर, रामगोपाल अग्रवाल, घनश्याम तिवारी, शांतिलाल तातेड़, अशोक साबले, सिद्दीक पटेल, समीर खान एवं सुनील शर्मा जिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। इसके बाद कांग्रेस ने प्रयोग करते हुए दो जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जिनमें सुनील शर्मा शहर एवं हेमंत वागद्रे ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष बने। विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने हेमंत वागद्रे को पूरे जिले का कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। कल उनके स्थान पर पूर्व विधायक निलय डागा जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए।
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