Cold: नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत तक ला नीना की स्थिति विकसित हो सकती है, जिससे भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। अमेरिकी मौसम एजेंसी और भारतीय निजी मौसम एजेंसियों ने भी इस अनुमान की पुष्टि की है।
आईएमडी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना बनने की 50% से अधिक संभावना है। उन्होंने कहा कि ला नीना के दौरान सर्दियां सामान्य से ज्यादा ठंडी होती हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन से कुछ हद तक गर्माहट का असर रहेगा, लेकिन ठंडी लहरें (Cold Waves) और लंबी अवधि तक चल सकती हैं।
ला नीना क्या है?
ला नीना प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय हिस्से में समुद्र सतह का तापमान सामान्य से ठंडा होने की स्थिति है। इसका असर वैश्विक मौसम पैटर्न पर पड़ता है। भारत में इसके चलते सर्दियां ज्यादा ठंडी होती हैं, जबकि अमेरिका जैसे देशों में सूखी सर्दियों का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों के अध्ययन
- आईआईएसईआर मोहाली और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च, ब्राजील के अध्ययन में पाया गया है कि ला नीना वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरें ज्यादा और लंबे समय तक चलती हैं।
- इस दौरान निचले स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं उत्तरी अक्षांशों से ठंडी हवा भारत की ओर खींच लाती हैं।
संभावित असर
- उत्तर भारत में इस बार ज्यादा ठंड और घनी धुंध का असर देखने को मिल सकता है।
- हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी की संभावना है।
- 2024 के अंत में भी अल्पकालिक ला नीना दर्ज हुआ था, जब नवंबर से जनवरी तक ठंड अधिक रही थी।
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