6 साल कराई मजदूरी, सीडब्ल्यूसी ने रेस्क्यू कर बालगृह भेजा
Betul News: बैतूल। गरीबी बड़ा पाप का मूल होती है। इसकी एक बानगी उस समय सामने आई जब ठेकेदार के पास 6 साल से बंधक बच्चे का सीडब्ल्यूसी ने रेस्क्यू कर बालगृह भेजा है। अब समस्या यह है कि बच्चे के माता-पिता के पास उनका बच्चा होने का कोई दस्तावेज नहीं है जिससे बच्चे का परिवार में पुर्नवास नहीं हो पा रहा है।
एक नजर में पूरा मामला
जानकारी के अनुसार बैतूल जिले के शाहपुर थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव के गंजू और उसकी पत्नी सरिता बच्चे गोविंद(परिवर्तित नाम) को लेकर 2019 में हरदा के झिरीखेड़ा मजदूरी करने के लिए गए थे। वहां पर उन्हें रुपए के आवश्यकता होने पर उन्होंने ठेकेदार रुपेश शर्मा से 50 हजार रुपए कर्ज लिया था। लेकिन दोनों पति-पत्नी कर्ज नहीं चुका पाए तो ठेकेदार ने उनका 6 साल के बच्चे गोविंद को गिरवी रख लिया और उससे मवेशी चराने सहित घर का काम कराने लगा। समय बीतता गया और इस बात को 6 साल गुजर गए। इसी बीच सरिता और गंजू कई मर्तबा गोविंद से मिलने हरदा भी गए और ठेकेदार रूपेश शर्मा से बच्चा मांगा लेकिन उसने नहीं दिया।
ऐसा खुला बंधवा मजदूरी का राज
जन साहस संस्था की पल्लवी ठकराकर गांव में विजिट पर थी। इस दौरान उसने ग्रामीणों से पहुंचा कि कोई बंधवा मजदूर का मामला तो नहीं है। या फिर ठेकेदार द्वारा राशि नहीं देने का कोई प्रकरण है क्या? इस पर गंजू और सरिता ने पूरी बात बताई कि हरदा के ठेकेदार रूपेश शर्मा ने उनके बेटे को बंधक बनाकर रखा है। इसके बाद पल्लवी ने पूरे मामले से कलेक्टर को अवगत कराया। कलेक्टर ने श्रम अधिकारी सहित अन्य से बच्चे का रेस्क्यू करने के निर्देश दिए। इसके बाद बैतूल से टीम हरदा गई और पुलिस की मदद से रेस्क्यू किया। इस दौरान ठेकेदार रूपेश शर्मा के भाई मुकेश शर्मा ने बच्चे को खेत में भिजवा दिया था लेकिन टीम ने गोविंद का रेस्क्यू कर लिया। कार्यवाही के दौरान विवाद भी हुआ।
ठेकेदार पर दर्ज किया मामला
इस मामले में ठेकेदार रूपेश शर्मा पर चाइल्ड लेबर एक्ट की धारा 3, 14 और जेजे एक्ट की धारा 75, 79 के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है। बाल श्रम अधिनियम की धारा 3 व 14 के तहत नाबालिग से मजदूरी कराने पर 3 महीने से 1 साल तक की जेल या 10,000 से20,000 रुपए तक जुर्माना (लगातार अपराध पर 6 महीने से 2 साल तक की सजा) हो सकती है, जबकि जेजे एक्ट की धारा 75 में बच्चे पर क्रूरता के लिए 3 साल की जेल और एक लाख रुपए तक जुर्माना हो सकती है। गंभीर मामले में 10 साल कैद और 5 लाख रुपए तक जुर्माना भी हो सकता है। धारा 79 में बाल मजदूर के शोषण पर 5 साल तक की जेल और 1 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है।
अब यह है समस्या
इस पूरे प्रकरण में अब समस्या यह है कि गोविंद के कोई भी दस्तावेज गंजू और सरिता के पास नहीं है जिससे की यह साबित हो सके गोविंद उन्हीं का बेटा है। इस पूरे मामले में जन्म प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 9अक्टूबर को जन्म प्रमाण पत्र मिलेगा। वहीं जिला प्रशासन सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट तैयार कर रहा है। उधर मां, बच्चे को पाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही है।
बच्चे को भेजा छिंदवाड़ा बाल गृह
सरिता कहती है, बेटे को छोड़कर आना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द था। जन साहस संस्था ने पुलिस और श्रम विभाग के साथ मिलकर 12 सितंबर को गोविंद को छुड़वाया। सरिता ने बताया कि उसे उम्मीद जगी थी कि अब उसका गोविंद उसके पास लौटेगा, लेकिन बाल कल्याण समिति ने दस्तावेज नहीं होने पर गोविंद को छिंदवाड़ा बालगृह भेजने का आदेश दे दिया।
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