
Discussion of the intersection: बैतूल के एक राजनैतिक परिवार से जुड़े सरकारी अधिकारी की हाल ही में बैतूल जिले में पदस्थापना हुई है। और उन्होंने एक हफ्ते पहले ही तहसील के पास स्थित एक जिला कार्यालय में जिला अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी संभाल ली है। चर्चा है कि इस अधिकारी को जिले की एक आरक्षित सीट से भाजपा की टिकट दी जानी है इसलिए अभी से फील्डिंग जमाई जा रही है। चर्चा यह भी है कि इसी उद्देश्य से इस अधिकारी को बैतूल जिले में भेजा गया (या लाया गया) है ताकि 2028 के विधानसभा चुनाव के पहले यह अधिकारी संबंधित विधानसभा क्षेत्र में अपनी पैठ बना सके। चर्चा यह भी है कि इस आरक्षित सीट की सीमा बैतूल विधानसभा सीट की सीमा से जुड़ी हुई है।
राजनैतिक गलियारों में अभी से यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि वर्तमान में जिले में भाजपा के जो पांचों विधायक हैं इनमें से कम से कम तीन सीटिंग विधायकों को भाजपा अगले चुनाव में मैदान में नहीं उतारेगी। चर्चा तो यह भी है कि इन विधायकों में से कम से कम दो तो आरक्षित सीट के हैं। यह तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन तीन विधायकों की रिपोर्ट कार्डों में से एक को निष्क्रिय, एक को परिजनों के माध्यम से वसूली और एक को ओवर एम्बीशस होने के कारण अगले चुनावी मैदान से बाहर किये जाने की चर्चा राजनैतिक हलको में हो रही है। भाजपा के लिए यह माना जाता है कि वह पूरे पांच साल चुनावी मोड में रहती है इसलिए उम्मीदवारों का चयन भी काफी पहले शुरू हो जाता है और 2028 के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से यह प्रक्रिया शुरू होने की चर्चा हो रही है। इसी के साथ महिला आरक्षण को देखते हुए जिले की कौन सी सीट महिला वर्ग के लिए आरक्षित हो जाए इसका भी जिले की विधानसभाओं के दावेदारों को डर बना हुआ है।
नोट:- बैतूल जिले में वर्तमान में आमला, भैंसदेही और घोड़ाडोंगरी आरक्षित सीटें हैं और अगले परिसीमन के बाद भी विधानसभा सीटों की संख्या में परिवर्तन की संभावना नहीं के बराबर है ऐसा जानकारों का कहना है।
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