Advice: : भोपाल: रविंद्र भवन में आयोजित पीडब्ल्यूडी विभाग की पर्यावरण से समन्वय पर केंद्रित संगोष्ठी-सह-प्रशिक्षण कार्यशाला में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंजीनियरों को ईमानदारी और गुणवत्ता पर जोर देने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि सरकारी धन का उपयोग करते समय केवल नियमों का पालन ही नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के प्रति भी जवाबदेही होनी चाहिए।
इंजीनियर शब्द का अर्थ और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री ने कहा कि “इंजीनियर” शब्द का अर्थ विज्ञान और गणित में समान अधिकार रखने वाला है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वन क्षेत्र में सड़क निर्माण के दौरान पुल बनाकर नीचे से बाघों के गुजरने की व्यवस्था की गई, ताकि पर्यावरण और विकास में संतुलन बना रहे।
गुणवत्ता पर सख्त संदेश
सीएम यादव ने निर्माण कार्य में कंक्रीट, लोहे और सीमेंट की गुणवत्ता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “समझदार को इशारा काफी होता है” और यह भी कि मिट्टी की प्रकृति के अनुसार निर्माण किया जाए। उन्होंने सादगी और संसाधनों के कुशल उपयोग पर जोर देते हुए कहा — “अपना रुपया सवा रुपए में तो चलाना सीखो।”
पीडब्ल्यूडी मंत्री का लोकपथ एप पर जोर
कार्यक्रम में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि सड़कों की गुणवत्ता सुधारने के लिए तेलंगाना मॉडल से प्रेरणा ली गई है। उन्होंने कहा कि डामर अब केवल सरकारी संस्थानों से खरीदा जाएगा और हर किलोमीटर पर रीचार्ज बोर बनाने का निर्णय लिया गया है।
मंत्री ने बताया कि लोकपथ एप से सड़क मरम्मत की शिकायतों का निपटारा अब 7 दिन के बजाय 4 दिन में होगा, जबकि एनएचएआई 48 घंटे में गड्ढे भरता है। उनका दावा है कि अगले एक साल में मध्यप्रदेश का लोक निर्माण विभाग देशभर में अपनी अलग पहचान बनाएगा।
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