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Case: नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया-राहुल की मुश्किलें बढ़ीं

नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया-

ईडी ने अदालत में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया

Case: नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत में दावा किया है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में फर्जी लेन-देन और आर्थिक साजिश की गई। ईडी की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू अदालत में पेश हुए और बताया कि यह सौदा कानूनी रूप से संदिग्ध है और इसका उद्देश्य संपत्ति पर कब्जा जमाना था।


🏢 क्या है पूरा मामला?

  • एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), जिसकी स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी, कांग्रेस से जुड़ा अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ प्रकाशित करता था।
  • 2008 में यह अखबार आर्थिक संकट के चलते बंद हो गया।
  • 2010 में ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी बनाई गई, जिसके जरिये कांग्रेस ने AJL का अधिग्रहण किया।

🧾 ईडी का आरोप क्या है?

  • यंग इंडियन कंपनी का निर्माण सिर्फ AJL को हथियाने के उद्देश्य से किया गया।
  • AJL के पास करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, लेकिन इसे केवल 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले में ले लिया गया।
  • यंग इंडियन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा प्रबंधकीय पदों पर थे।
  • यंग इंडियन में सोनिया और राहुल के पास 76% शेयर हैं।
  • कांग्रेस पार्टी ने AJL को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया, लेकिन इस कर्ज पर न ब्याज लिया, न कोई जमानत ली, और बाद में 50 लाख रुपये में पूरी कंपनी का अधिग्रहण हो गया।
  • एसवी राजू ने इसे “धांधली और साजिश” बताया जिसमें “कोई असल लेनदेन” नहीं हुआ।

⚖️ मामले की पृष्ठभूमि

  • 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शिकायत दर्ज की थी।
  • स्वामी का आरोप था कि कांग्रेस ने यंग इंडियन के जरिये धोखाधड़ी कर AJL की बेशकीमती संपत्ति पर कब्जा किया।
  • शिकायत के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की
  • इस मामले में सोनिया और राहुल गांधी पहले ही ईडी की पूछताछ में शामिल हो चुके हैं।

🔍 अब आगे क्या?

इस मामले में अदालत में सुनवाई जारी है। यदि ईडी के आरोपों को अदालत में पुष्टि मिलती है तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए यह मामला राजनीतिक और कानूनी रूप से गहरा संकट बन सकता है। इस प्रकरण को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो सकता है। कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता चुकी है, वहीं भाजपा इसे कानून और पारदर्शिता की जीत कहती रही है।

साभार… 

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