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Collision: DRDO ने अग्नि-5 के दो नए ‘बंकर बस्टर’ वर्जन विकसित किए, अमेरिका के GBU-57 बम को टक्कर

DRDO ने अग्नि-5 के दो नए 'बंकर बस्टर

Collision: नई दिल्ली | भारत ने अपनी रणनीतिक और परमाणु क्षमताओं को और अधिक घातक और परिष्कृत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) अब इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 के दो नए ‘बंकर बस्टर’ वर्जन तैयार कर रहा है, जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस होंगे।


🔸 नई मिसाइल की प्रमुख क्षमताएं:

  • वॉरहेड क्षमता: 7,500 किलोग्राम — अमेरिकी GBU-57 बम से भी भारी
  • प्रहार गहराई: 100 मीटर तक जमीन के भीतर जाकर बंकर, न्यूक्लियर साइट्स, रडार, कंट्रोल सेंटर, हथियार गोदामों को नष्ट कर सकेगी
  • गति: मैक 8 से मैक 20 (आवाज़ से 8 से 20 गुना तेज)
  • रेंज: 2,500 किमी (स्पेशलाइज्ड बस्टर रोल के लिए)

📌 पृष्ठभूमि: अमेरिका का हमला और प्रेरणा

DRDO की यह पहल ऐसे समय पर सामने आई है जब अमेरिका ने 21 जून 2025 को ईरान के फोर्दो परमाणु संयंत्र पर 14 GBU-57/ए बंकर बस्टर बम गिराए थे। यह संयंत्र 200 फीट (लगभग 60 मीटर) जमीन के नीचे स्थित था। GBU-57 बम की वजन क्षमता 2,600 किलोग्राम थी। DRDO की मिसाइल इससे कहीं अधिक घातक मानी जा रही है।


🛡️ भारत के लिए क्यों जरूरी है यह क्षमता?

  • चीन और पाकिस्तान द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में बनाए गए गहरे बंकरों, कमांड सेंटर्स और हथियार ठिकानों को नष्ट करने की जरूरत।
  • ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों के बाद भारत बंकर-बस्टिंग क्षमता को तेज़ी से विकसित कर रहा है।
  • यह मिसाइलें हिमालयी सीमा, पहाड़ी इलाकों और सामरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती के लिए आदर्श होंगी।

⚔️ Agni-5 का पुराना संस्करण बनाम नया बंकर बस्टर वर्जन:

विशेषतापुराना वर्जननया बंकर बस्टर वर्जन
रेंज5,000 किमी2,500 किमी (विशेष उद्देश्य)
वॉरहेड क्षमता~1,500 किग्रा7,500 किग्रा
प्रहार गहराईसतह/ऊपरी लक्ष्य~100 मीटर जमीन के भीतर
गतिमैक 5-6मैक 8–20 (हाइपरसोनिक)

🇮🇳 भारत का तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम

DRDO की यह परियोजना भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे रक्षा शक्तियों की कतार में खड़ा करती है, जिनके पास पहले से गहरे ठिकानों को भेदने की सामरिक क्षमता है। इसके साथ ही यह भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस नीति को और मज़बूत करेगा।

साभार… 

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