कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामला: 25 बच्चों की मौत के आरोपी कंपनी मालिक परासिया कोर्ट में पेश
कोर्ट ने आरोपी गोविंदन रंगनाथन को 10 दिन की रिमांड पर भेजा, वकीलों ने पैरवी से किया इंकार
Cough syrup case: छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में 25 बच्चों की मौत का कारण बने जहरीले कफ सिरप मामले में गिरफ्तार श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी के मालिक गोविंदन रंगनाथन को शुक्रवार को छिंदवाड़ा जिले की परासिया कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान कोर्ट परिसर में लोगों और वकीलों ने भारी विरोध करते हुए ‘हत्यारे को फांसी दो’ के नारे लगाए।
कोर्ट में सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच आरोपी को प्रथम श्रेणी न्यायाधीश शैलेंद्र उइके के समक्ष पेश किया गया। न्यायालय ने रंगनाथन को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर सौंप दिया है। इससे पहले विशेष जांच दल (SIT) सुबह 11 बजे रंगनाथन को परासिया लेकर पहुंची थी, जहां उसे परासिया थाने में रखा गया था।
जानकारी के अनुसार, रंगनाथन की कंपनी में बने ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ के सेवन से छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्णा में अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। कुछ बच्चे अभी भी नागपुर के अस्पतालों में इलाजरत हैं।
वकीलों ने पैरवी करने से किया इंकार
परासिया अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्याम कुमार साहू ने घोषणा की कि जिले का कोई भी वकील ऐसे आरोपी की पैरवी नहीं करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बाहर से कोई वकील उसकी ओर से पैरवी करने आता है तो उसका भी विरोध किया जाएगा।
रंगनाथन ने खुद रखी अपनी दलीलें
शाम करीब सवा 5 बजे कोर्ट में पेशी के दौरान किसी वकील ने आरोपी की पैरवी नहीं की। रंगनाथन ने खुद अपनी बात रखते हुए कहा कि वह हार्ट पेशेंट हैं और उन्हें हाई ब्लड प्रेशर व शुगर की समस्या है। उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनी का कफ सिरप पांच राज्यों में सप्लाई होता है, पर वहां कोई शिकायत नहीं मिली।
जब जज ने पूछा कि क्या तुम्हें पता है कि तुम्हें क्यों गिरफ्तार किया गया है, तो आरोपी कुछ देर चुप रहा और फिर बोला कि उसे इस बारे में जानकारी नहीं है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद रंगनाथन को 20 अक्टूबर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग ठुकराई
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग को खारिज कर दिया है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया।
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