पुरानी नहरें अटकी सिंचाई: चार जलाशयों के भरोसे किसान परेशान
Damaged: सारनी। क्षेत्र के किसान इस समय चार छोटे जलाशयों के पानी पर निर्भर हैं, लेकिन जलाशयों से निकलने वाली नहरें वर्षों पुरानी और क्षतिग्रस्त होने के कारण किसानों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है। रानीपुर क्षेत्र में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में कुल चार जलाशयों का निर्माण किया गया था। इनमें सबसे बड़ा रानीपुर जलाशय वर्ष 1984 में 1100 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया गया। इसके चार वर्ष बाद 1988 में सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण किया गया था।
करीब 37 वर्ष पुराने इन नहरों में जगह-जगह टूट-फूट हो चुकी है, जिससे पानी ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने से पहले ही जमीन में समा जाता है। इस कारण किसानों के सामने रवि की फसल की बोवनी को लेकर संकट खड़ा हो गया है। किसान लंबे समय से नहरों की मरम्मत की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक सुधार कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
प्रदेश व केंद्र सरकार खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए तालाब और नहर निर्माण पर जोर दे रही है। रानीपुर क्षेत्र के चार जलाशय – रानीपुर (1100 हेक्टेयर), कुही (250 हेक्टेयर), शोभापुर (150 हेक्टेयर) और माथनी (105 हेक्टेयर) – लगभग 1605 हेक्टेयर (4013 एकड़) भूमि की सिंचाई क्षमता रखते हैं। इससे कुही, मायावनी, रानीपुर, हीरावाड़ी, बिशालदेही, महकर, जुवाड़ी सहित दर्जनों गांवों के किसान सालभर फसल लेते हैं।
लेकिन नहरों की जर्जर स्थिति ने इस बार रवि की फसल को संकट में डाल दिया है। नहरों की मरम्मत होने पर किसान अधिक क्षेत्र में बोवनी कर बेहतर उत्पादन ले सकते हैं।
इनका कहना है
“15 दिसंबर के बाद रवि की फसल कितने हेक्टेयर में लगाई गई है, इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। नवंबर और दिसंबर माह में रवि की फसल की बोवनी का कार्य चलता है।”
— लालजी कस्दे, कृषि विभाग, घोड़ाडोंगरी
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