भारत की ऊर्जा क्रांति की ओर कदम
Energy Revolution:नई दिल्ली | ईरान-इजराइल तनाव के बीच जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, भारत के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर आई है। अंडमान सागर में विशाल कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की खोज हुई है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा को नई दिशा मिल सकती है।
🛢️ 2 लाख करोड़ लीटर कच्चा तेल मिलने का अनुमान
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जानकारी दी कि अंडमान क्षेत्र में प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार करीब 11.6 अरब बैरल (2 लाख करोड़ लीटर) कच्चा तेल हो सकता है। अगर यह अनुमान सटीक सिद्ध होता है, तो यह भारत के इतिहास की सबसे बड़ी तेल खोज होगी।
पुरी ने कहा, “यह खोज हमारी ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगी। भारत केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी तेल निर्यात करने में सक्षम हो सकता है।”
📈 भारत की जीडीपी 25 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना
मंत्री पुरी के अनुसार, अंडमान क्षेत्र की इस खोज से भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है।
- वर्तमान में भारत की GDP लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के करीब है।
- अगर यह तेल भंडार व्यावसायिक उत्पादन के लिए अनुकूल निकला, तो GDP 5 गुना बढ़कर 25 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकती है।
🌍 वैश्विक संकट के बीच ऊर्जा स्वतंत्रता की ओर भारत
इधर, मध्य-पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर खतरा मंडरा रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने अपनी रिपोर्ट में चेताया कि:
- होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने की स्थिति में भारत का तेल और गैस आयात महंगा हो सकता है।
- वर्तमान में भारत का लगभग 85% कच्चा तेल आयातित होता है, जिसमें बड़ी हिस्सेदारी मध्य-पूर्व की है।
इस पृष्ठभूमि में अंडमान में संभावित तेल भंडार भारत को आर्थिक और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
📌 क्या कहता है विश्लेषण?
🔸 एनर्जी एक्सपर्ट डॉ. राकेश वर्मा कहते हैं:
“अगर यह तेल भंडार तकनीकी और आर्थिक दृष्टि से व्यावसायिक उत्पादन योग्य निकला, तो भारत विश्व के टॉप 10 तेल उत्पादक देशों में शामिल हो सकता है।”
🔸 रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ पूजा मेहरा का मानना है:
“यह खोज भारत को पश्चिम एशिया पर अपनी ऊर्जा निर्भरता से मुक्त करने का जरिया बन सकती है, साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में इसकी भूमिका और मजबूत होगी।”
🔬 आगे क्या?
अब इस क्षेत्र में 3D सीस्मिक सर्वेक्षण, गहराई परीक्षण (deep drilling) और पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। वाणिज्यिक उत्पादन में अभी कुछ वर्ष लग सकते हैं, लेकिन नीति आयोग और पेट्रोलियम मंत्रालय मिलकर इसे प्राथमिकता पर ले रहे हैं।
📊 तेल भंडार के संभावित प्रभाव
क्षेत्र | संभावित परिवर्तन |
---|---|
ऊर्जा क्षेत्र | आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता |
विदेशी व्यापार | तेल आयात पर निर्भरता में भारी कमी |
रोजगार | तेल-गैस से जुड़े हजारों नए अवसर |
रक्षा रणनीति | इंडो-पैसिफिक में सामरिक मजबूती |
पर्यावरण | ग्रीन एनर्जी के साथ संतुलित नीति की जरूरत |
साभार…
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