Festival: बैतूल। गणेशोत्सव का पर्व इस बार बैतूल जिले के लिए खास बन गया है। यहां हर साल नव एवं नव ज्योति गणेश उत्सव समिति लोहिया वार्ड गणेश जी अलग-अलग रूप में विराजते हैं और यही सबसे बड़ी खासियत है, जिसके कारण न सिर्फ बैतूल शहर बल्कि आसपास के गांवों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
इस वर्ष गणपति बप्पा का भव्य स्वरूप “समुद्र मंथन” थीम पर तैयार किया गया है। लगभग 12 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी प्रतिमा जब पंडाल में विराजी तो मानो पूरा माहौल भक्ति और दिव्यता से भर गया। विशाल प्रतिमा का दर्शन कर भक्तों के चेहरे पर अद्भुत आस्था और उत्साह झलक रहा है।
गणेश मंडल की शुरुआत बेहद साधारण तरीके से हुई थी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण कार्यकर्ता शुरुआत में छोटे से पान ठेले पर ही गणेश प्रतिमा स्थापित करते थे। लेकिन आज वही मंडल श्रद्धा और सामूहिक प्रयासों की मिसाल बन चुका है।
मंडल के कई सदस्य आज भी बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं—कोई चने बेचने वाला है, कोई ऑटो चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता है, तो कोई मनिहारी की दुकान या फूलों की छोटी दुकान चलाता है। गरीबी के बावजूद सभी कार्यकर्ता तन, मन और धन से मिलकर इस आयोजन को भव्य बनाने में जुट जाते हैं।
उनकी मेहनत और आस्था का ही परिणाम है कि आज मंडल का आयोजन पूरे जिले में प्रसिद्ध हो चुका है। हर साल गणेश जी की प्रतिमा का अलग रूप न केवल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है बल्कि समाज में यह संदेश भी देता है कि सच्ची भक्ति और सामूहिकता से कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
बप्पा के भव्य दरबार में हर रोज सुबह-शाम भजन, आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गूंज रहती है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आकर आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।
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