Free: सीहोर।: मध्य प्रदेश के सीहोर जिले का बिशनखेड़ा गांव अपनी अनोखी परंपरा के लिए पूरे इलाके में मशहूर है। सीहोर मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर बसे इस गांव की आबादी लगभग 800 है, और खास बात यह है कि यहां हर घर में गाय या भैंस पाली जाती है, लेकिन दूध बेचना सख्त मना है।
सदियों पुरानी मान्यता
गांव के लोगों का मानना है कि दूध बेचने से पशु बीमार हो जाते हैं या गांव छोड़कर चले जाते हैं। यही वजह है कि जो भी दूध मांगने आता है, उसे मुफ्त में दे दिया जाता है। यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है।
शुद्ध शाकाहारी और संयमी जीवन
गांववाले खुद को देवनारायण बाबा का अनुयायी मानते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे गांव की रक्षा करते हैं। यहां शराब और मांस पूरी तरह वर्जित है, और सभी लोग शुद्ध शाकाहारी जीवन जीते हैं। दूध का उपयोग केवल घरेलू जरूरतों और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
परंपरा तोड़ने की सजा
ग्रामीण बताते हैं कि अतीत में कुछ लोगों ने दूध बेचने की कोशिश की, लेकिन उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। उनका विश्वास है कि ऐसा करने पर देवनारायण बाबा नाराज़ हो जाते हैं और दंड देते हैं।
बिशनखेड़ा की यह परंपरा आज भी बरकरार है, जहां दूध की भरपूर उपलब्धता होने के बावजूद कोई भी इसे खरीद नहीं सकता — यहां दूध सिर्फ बांटा जाता है, बेचा नहीं जाता।
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