History: बेंगलुरु/अंतरिक्ष स्टेशन।भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर नौ दिन का समय पूरा कर अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इससे पहले यह रिकॉर्ड विंग कमांडर राकेश शर्मा के नाम था, जिन्होंने 1984 में 7 दिन, 21 घंटे, 40 मिनट अंतरिक्ष में बिताए थे। शुभांशु वर्तमान में नासा और इसरो की संयुक्त परियोजना के तहत 14 दिवसीय ‘एक्सिओम-4 मिशन’ पर हैं। वे अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, और हंगरी के टिबोर कापू ड्रैगन के साथ कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होकर अंतरिक्ष पहुंचे।
🌍 पृथ्वी को वेंटेज प्वाइंट से देखना सबसे रोमांचक
शुभांशु ने बताया कि ISS पर सबसे अद्भुत अनुभव वेंटेज प्वाइंट से धरती को देखना रहा। पारदर्शी खिड़की से नीली-हरी धरती को बिना वायुमंडल या बादलों के देखना एक भावनात्मक और रोमांचकारी क्षण था।
🍽️ भारतीय स्वादों का अंतरिक्ष में जादू
एक विशेष दिन की छुट्टी के दौरान चालक दल ने साथ बैठकर भारतीय भोजन का आनंद लिया। शुभांशु ने बताया कि “आम रस, गाजर का हलवा और मूंग दाल हलवा को सभी अंतरिक्षयात्रियों ने खूब सराहा।” यह अनुभव उन्हें परिवार और देश के साथ जोड़ने वाला रहा।
🔬 वैज्ञानिक प्रयोगों में दिया योगदान
एक्सिओम स्पेस के अनुसार, मिशन के दौरान अंतरिक्षयात्रियों ने 113 पृथ्वी परिक्रमाएं पूरी कीं और वैज्ञानिक अनुसंधान में उल्लेखनीय योगदान दिया:
- शुभांशु शुक्ला ने शैवालों की वृद्धि, उनके आनुवंशिक व्यवहार और माइक्रोग्रैविटी में प्रभाव पर प्रयोग किया।
- उन्होंने टार्डिग्रेड्स (Water Bears) पर भी शोध किया—ये सूक्ष्म जीव अपने चरम परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
- यह शोध जीवन की उत्पत्ति, अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं और जैव प्रौद्योगिकी में उपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण है।
📡 हैम रेडियो से संवाद, भारत से जुड़ाव
शुभांशु ने बेंगलुरु के यूआर राव सेटेलाइट सेंटर में स्थापित टेलीब्रिज के माध्यम से हैम रेडियो के जरिए भारतीय वैज्ञानिकों से सीधा संवाद किया। यह तकनीक उन्हें परिवार और देशवासियों से जोड़ने का जरिया बनी।
भारत के लिए गौरव का क्षण
शुभांशु की यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई ऐतिहासिक छलांग है। उन्होंने यह साबित किया है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री अब न केवल मिशनों का हिस्सा हैं, बल्कि वैज्ञानिक खोजों में नेतृत्व कर रहे हैं।
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