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Hub: सिंगरौली बनेगा क्रिटिकल मिनरल्स हब, चीन पर निर्भरता खत्म करेगा मध्यप्रदेश

सिंगरौली बनेगा क्रिटिकल मिनरल्स हब

Hub: भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश अब केवल ऊर्जा की राजधानी ही नहीं, बल्कि क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी भी बनेगा। सिंगरौली जिले में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements – REE) का विशाल भंडार मिलने से भारत को ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ी मजबूती मिलेगी।

पहली बार इतनी बड़ी खोज

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में जानकारी दी थी कि भारत में पहली बार इतनी विशाल मात्रा में रेयर अर्थ एलिमेंट्स की पुष्टि हुई है। जुलाई 2025 में इस खोज की आधिकारिक घोषणा हुई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह खोज आत्मनिर्भर भारत अभियान में मील का पत्थर साबित होगी।

सिंगरौली की धरती से नया खजाना

कोल इंडिया लिमिटेड के शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में REE (जैसे स्कैंडियम, यिट्रियम) की उल्लेखनीय सांद्रता पाई गई है।

  • कोयले में औसत मात्रा: 250 PPM
  • गैर-कोयला स्तर पर औसत: 400 PPM

भविष्य में कोयले की राख (फ्लाई ऐश) और ओवरबर्डन भी क्रिटिकल मिनरल्स के द्वितीयक स्रोत बन सकते हैं।

IREL के साथ सहयोग और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

राज्य सरकार ने खनिज प्रसंस्करण और अनुसंधान के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की तैयारी शुरू कर दी है। हाल ही में खनिज संसाधन विभाग ने इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) की भोपाल इकाई का दौरा कर सहयोग पर चर्चा की। जल्द ही आरईई पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की योजना है, जहां रिसर्च, ट्रेनिंग और उद्योग को वैश्विक सहयोग मिलेगा।

भारत को मिलेगा वैश्विक नेतृत्व

रेयर अर्थ एलिमेंट्स आधुनिक तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं। अभी तक भारत इन पर चीन और अन्य देशों पर निर्भर था। सिंगरौली की खोज से

  • ग्रीन एनर्जी
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
  • डिफेंस और स्पेस टेक्नोलॉजी
  • हाई-टेक इंडस्ट्रीज
    में भारत आत्मनिर्भर बन सकेगा।

प्रमुख स्रोत

  • बास्टनेसाइट
  • जेनोटाइम
  • लोपेराइट
  • मोनाजाइट
    भारत के तटीय इलाकों की रेत और अपक्षयित ग्रेनाइट मिट्टी भी इन तत्वों से समृद्ध है।

प्रमुख उपयोग

  • रक्षा और अंतरिक्ष: सैमरियम-कोबाल्ट और नियोडिमियम चुंबक मिसाइलों, उपग्रह संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स में।
  • पेट्रोलियम उद्योग: लैंथेनम, सेरियम का उपयोग उत्सर्जन घटाने वाले कन्वर्टर्स में।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: नियोडिमियम और सैमरियम चुंबक ईवी और पवन ऊर्जा संयंत्रों में।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स: यूरोपियम, टर्बियम और यिट्रियम एलईडी, LCD, स्मार्टफोन और कैमरा लेंस में।
  • ऑटोमोबाइल: हाइब्रिड वाहनों की बैटरियों में लैंथेनम मिश्रधातु।
  • स्वास्थ्य: गैडोलीनियम MRI स्कैन में, जबकि ल्यूटेटियम व यिट्रियम समस्थानिक कैंसर इलाज और PET इमेजिंग में।

भविष्य की दिशा

सरकार का दावा है कि आने वाले वर्षों में सिंगरौली न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए क्रिटिकल मिनरल्स का हब बनेगा। चीन पर निर्भरता खत्म होगी और भारत वैश्विक मंच पर नई तकनीकी और औद्योगिक शक्ति के रूप में उभरेगा।

साभार… 

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