Tuesday , 22 July 2025
Home Uncategorized Jugaad: 90 की उम्र में भी खेत जोत रहे अमर सिंह मेवाड़ा, न ट्रैक्टर न बैल – जुगाड़ से कर रहे खेती
Uncategorized

Jugaad: 90 की उम्र में भी खेत जोत रहे अमर सिंह मेवाड़ा, न ट्रैक्टर न बैल – जुगाड़ से कर रहे खेती

90 की उम्र में भी खेत जोत रहे अमर

10 साल से नहीं मिला फसल बीमा

Jugaad: सीहोर (अमरोद)। जहां एक ओर आधुनिक यंत्रों के बिना खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती, वहीं सीहोर जिले के ग्राम अमरोद के 90 वर्षीय किसान अमर सिंह मेवाड़ा ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत की कोई उम्र नहीं होती। बिना ट्रैक्टर, बैल और मजदूरों के, वे आज भी अपने खेत खुद जोत रहे हैं – वो भी एक खास जुगाड़ से, जिसे उन्होंने खुद बनाया है।


🚜 खास जुगाड़: साइकिल के पहिए और हल से खेत की हकाई

अमर सिंह ने एक पुराने साइकिल के पहिए और हल को जोड़कर एक देसी जुगाड़ तैयार किया है, जिससे वे 3 एकड़ के अपने खेत की हकाई (जुताई) कर रहे हैं। आधुनिक संसाधनों की कमी के बावजूद वे हर रोज सुबह खेत पहुंचते हैं और दिनभर पसीना बहाते हैं। शाम को लौटते समय गाय-भैंस के लिए चारा भी खुद ही काट कर लाते हैं।


💸 आर्थिक तंगी, बीमा नहीं, फिर भी उम्मीद कायम

मेवाड़ा बताते हैं कि बीते 10 साल से उनकी सोयाबीन की फसल खराब होती आ रही है। वजह कभी खराब बीज, तो कभी गैर-प्रभावी कीटनाशक दवाएं, और कई बार बाढ़ या सूखा। उनका किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) है, और हर साल बीमा राशि कटती है, लेकिन अब तक एक बार भी उन्हें फसल बीमा का लाभ नहीं मिला।

“बीज और दवाइयां कमजोर हैं, फिर भी इस बार थोड़ा बहुत उत्पादन होने की उम्मीद है,” – अमर सिंह मेवाड़ा।


🧓 90 साल की उम्र, लेकिन हौसला आज भी जवान

90 की उम्र में जहां अधिकांश लोग आराम करते हैं, वहीं अमर सिंह जैसे बुजुर्ग किसान न केवल खेत की जुताई कर रहे हैं बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत भी बन चुके हैं। न थकान की शिकायत, न किसी से शिकवा – बस खेती के प्रति समर्पण।


📢 समाजसेवी बोले: सरकार और बीमा कंपनियों की बड़ी विफलता

गांव के समाजसेवी एमएस मेवाड़ा ने मौके पर बताया कि यह स्थिति आज के सिस्टम पर बड़ा सवाल है।

“एक 90 साल का बुजुर्ग किसान अकेले खेत में काम कर रहा है, न बीमा मिल रहा, न कोई सरकारी मदद। यह दर्शाता है कि बीमा कंपनियां और सरकार सिर्फ कागजों पर काम कर रही हैं।

उन्होंने प्रशासन से मांग की कि अमर सिंह जैसे किसानों को तत्काल फसल बीमा क्लेम दिया जाए, ताकि उनकी उम्मीद और मेहनत जिंदा रह सके।


📝 प्रशासन से कई बार की गई मांग, अब तक नहीं हुई सुनवाई

मेवाड़ा परिवार ने कई बार तहसील से लेकर जिला स्तर तक आवेदन दिए, लेकिन बीमा क्लेम की कोई कार्रवाई नहीं हुई। निराशा के बावजूद वे खेती करना नहीं छोड़ते – यही उनका जीवन है, और यही उनका आत्मबल।


🌾 सवाल सिस्टम से: क्या किसानों का भरोसा सिर्फ चुनावी मुद्दा है?

अमर सिंह मेवाड़ा की कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि देश के उन लाखों किसानों की आवाज है जो व्यवस्था की अनदेखी के बावजूद हर साल खेतों में उतरते हैं – सिर्फ मेहनत और उम्मीद के सहारे

साभार… 

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Death: खेलते समय पानी में डूबने से बच्चे की मौत

Death: बैतूल। खेलते-खेलते गहरे पानी में डूबने से एक 10 वर्षीय बालक...

Death: खेलते समय पानी में डूबने से बच्चे की मौत

Death: बैतूल। खेलते-खेलते गहरे पानी में डूबने से एक 10 वर्षीय बालक...

Transportation: मुल्ला पेट्रोल पंप चौराहे से हटेगा ट्रांसफार्मर

सड़क चौड़ीकरण से नहीं होगा यातायात बाधित Transportation: बैतूल। शहर के विकास...

Tejas express: इंदौर-मुंबई तेजस एक्सप्रेस 23 जुलाई से शुरू, किराया अवंतिका और दुरंतो से अधिक

Tejas express: भोपाल/इंदौर: मध्यप्रदेश की पहली तेजस सुपरफास्ट ट्रेन 23 जुलाई 2025...