सिक्किम के नाथुला दर्रे से पहला जत्था रवाना
Kailash Mansarovar: गंगटोक (सिक्किम) | पांच साल के लंबे इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथुला दर्रे (सिक्किम) से पहला जत्था शुक्रवार को रवाना हुआ। चीन-भारत सीमा से लगे इस मार्ग से यात्रा को दोबारा शुरू किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
🔹 धार्मिक आस्था का केंद्र: कैलाश और मानसरोवर
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। वहीं, इसके पास स्थित मानसरोवर झील को ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित माना गया है। यह स्थान:
- हिंदू धर्म में आदिनाथ शिव की तपोभूमि के रूप में पूज्य है
- जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की तपस्थली मानी जाती है
- बौद्ध धर्म में इसे रिनपोचे (पवित्र झील) के रूप में अत्यधिक सम्मान प्राप्त है
🛤️ नाथुला मार्ग: यात्रा का संक्षिप्त विवरण
- यात्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक से शुरू होकर नाथुला दर्रे के रास्ते तिब्बत में प्रवेश करती है
- यह यात्रा कुल 21 से 22 दिनों में पूरी होती है
- यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी इलाके (14000 फीट) से होकर गुज़रना होता है
👩⚕️ स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा इंतजाम
यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए:
- डॉक्टरों की टीम (3–4 चिकित्सक) जत्थे के साथ भेजी जाती है
- हर पड़ाव पर स्वास्थ्य जांच और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र उपलब्ध कराए जाते हैं
- किसी आपात स्थिति में एयर लिफ्ट की व्यवस्था भी की गई है
💼 पर्यटन और स्थानीय रोजगार को संजीवनी
नाथुला मार्ग से यात्रा शुरू होने से सिक्किम की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होने की संभावना है।
- होटल, दुकानें और ट्रैवल एजेंसियों को बढ़ती आमदनी
- स्थानीय गाइड, वाहन चालक और आतिथ्य सेवा क्षेत्र में नए रोजगार अवसर
सिक्किम सरकार ने भी इस यात्रा को पुनः शुरू करने के लिए चीनी प्रशासन और विदेश मंत्रालय के सहयोग से मार्ग प्रशस्त किया।
साभार…
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