Mid-year exams: इंदौर। शासकीय स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। प्रदेश भर में तीन नवंबर से कक्षा 10वीं और 12वीं की अर्धवार्षिक (Mid-Year) परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं, जबकि अधिकांश स्कूलों में अब तक केवल 60 प्रतिशत कोर्स ही पूरा हो पाया है। भोपाल से परीक्षा का टाइम टेबल जारी हो चुका है, लेकिन शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच चिंता का माहौल है। कई स्कूलों में शिक्षकों ने अधूरा कोर्स “पूरा” दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है ताकि परीक्षा आयोजन में बाधा न आए।
पहली बार नवंबर में परीक्षा, पहले दिसंबर के अंत में होती थी
आमतौर पर अर्धवार्षिक परीक्षाएं दिसंबर के अंत में आयोजित की जाती थीं, लेकिन इस बार शैक्षणिक कैलेंडर में बदलाव के चलते परीक्षा नवंबर के पहले सप्ताह में हो रही है। विद्यार्थियों ने कहा कि जब कोर्स पूरा नहीं हुआ है तो परीक्षा की तैयारी अधूरी रह जाएगी।
वार्षिक परीक्षा पर पड़ेगा असर
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अर्धवार्षिक और त्रैमासिक परीक्षाओं के अंक वार्षिक परीक्षा के साथ जोड़े जाते हैं। ऐसे में यदि छात्र इस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते, तो इसका सीधा असर बोर्ड परीक्षा के परिणाम पर पड़ेगा। इस वर्ष बोर्ड परीक्षाएं फरवरी और जुलाई में दो चरणों में आयोजित की जा रही हैं, जिसके कारण अर्धवार्षिक परीक्षा की तारीखें पहले तय की गई हैं। हालांकि, शिक्षकों का कहना है कि सीमित समय और अधूरे पाठ्यक्रम के चलते विद्यार्थियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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