दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा पर जनता के बीच से रहे नदारद
Missing: मुलताई। नगर में इस वर्ष दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा जैसे प्रमुख त्यौहारों पर एक असामान्य नज़ारा देखने को मिला — जनता के बीच शुभकामनाएं देने के लिए कोई जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा। वही नेता, जो चुनावी वर्ष में दुकानों, गलियों और घरों-घर जाकर दीपावली की शुभकामनाएं देते नहीं थकते थे, इस बार पूरी तरह नदारद रहे।
जनप्रतिनिधियों के इस रवैए ने जनता के बीच यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि जब तक चुनाव नजदीक न हों, तब तक आमजन से संवाद या त्योहारों में शामिल होना उनके लिए आवश्यक नहीं है। राजनीतिक मंचों और सरकारी कार्यक्रमों में तो ये नेता सक्रिय रहते हैं, लेकिन सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में उनकी अनुपस्थिति ने लोगों को निराश किया है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह वही जनप्रतिनिधि हैं, जो मां ताप्ती के आशीर्वाद से राजनीतिक ऊंचाइयों तक पहुंचे, पर अब उसी ताप्ती तट पर जाना उन्हें जरूरी नहीं लगता।
🌊 ताप्ती तट की रौनक फीकी पड़ी
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस बार ताप्ती तट पर अपेक्षित रौनक नहीं दिखी। पहले जहां जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी से आयोजन में अलग ऊर्जा रहती थी, वहीं इस बार न तो बड़े नेता आए और न ही किसी प्रकार का विशेष आयोजन हुआ।
स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि मुलताई के पास ताप्ती मां के सिवाय और कुछ नहीं — न उद्योग, न रोजगार, न विकास के ठोस साधन। ऐसे में यदि जनप्रतिनिधि इस आस्था केंद्र से भी दूरी बना लें, तो यह नगर के प्रति उपेक्षा का प्रतीक है।
जनता का कहना है कि जो नेता जनता के सहारे ऊंचाइयों तक पहुंचे, यदि वही जनता से दूरी बना लें, तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि सीढ़ी को छोड़ देने वाला ऊंचाई पर अधिक देर तक नहीं टिकता।
साभार…
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