5.6 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद
Nagdwari Yatra:पचमढ़ी (मध्य प्रदेश): सतपुड़ा की पवित्र वादियों में स्थित नागद्वारी मंदिर की वार्षिक धार्मिक यात्रा आज 19 जुलाई से प्रारंभ हो गई। ‘मध्य प्रदेश के अमरनाथ’ के रूप में विख्यात यह यात्रा 29 जुलाई तक चलेगी। टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित यह पवित्र गुफा मंदिर साल में केवल दस दिनों के लिए ही श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोली जाती है। श्रावण मास में आयोजित होने वाली यह यात्रा गहरी आस्था, प्राकृतिक चुनौती और अध्यात्म का अद्भुत संगम है। इस वर्ष करीब 5.6 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जिनमें सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र से आने वाले भोलाभगतों की होती है।
🔱 सात पहाड़, एक गुफा, और शिवभक्ति का सफर
नागद्वारी यात्रा की शुरुआत पचमढ़ी के निकट जलगली से होती है, जहाँ से श्रद्धालुओं को करीब 13-14 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा करनी होती है। यह यात्रा सात दुर्गम पहाड़ियों — निशानगढ़, नंदीगढ़ और नागशेष पर्वत श्रृंखला — को पार करती है। यात्रा मार्ग में स्वर्गद्वार, चित्रशाला, और चिंतामण माता मंदिर जैसे कई धार्मिक स्थल आते हैं।
🐍 नागराज की दुनिया, शिवभक्तों की आस्था
नागद्वारी को नागराज की दुनिया भी कहा जाता है। यह मान्यता है कि भस्मासुर से बचते हुए भगवान शिव ने नागराज को यहीं छोड़कर चौरागढ़ की ओर प्रस्थान किया था। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार, काजली ग्राम की महिला की मन्नत के बाद नागराज ने लघु रूप धारण कर उसे काजल लगाने का अवसर दिया।
🐅 टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में विशेष अनुमति से यात्रा
यह मार्ग सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) के कोर क्षेत्र में आता है, जो आमतौर पर पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित रहता है। लेकिन श्रावण माह में दस दिन के लिए वन विभाग विशेष अनुमति प्रदान करता है। एसटीआर फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा के अनुसार, कोर क्षेत्र के नियमों का पूर्ण पालन अनिवार्य है और केवल पंजीकृत भंडारा मंडलों को ही अनुमति दी गई है।
🛡️ सुरक्षा और व्यवस्था चाकचौबंद
जिला प्रशासन ने यात्रा को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए 700 से अधिक पुलिसकर्मियों, 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र, और 12 SDRF जवानों की तैनाती की है। इसके अलावा, चिकित्सकीय सहायता के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के दल, दवाइयों की व्यवस्था और हर मोड़ पर साइन बोर्ड लगाए गए हैं ताकि कोई श्रद्धालु भटके नहीं।
🚫 परिवहन पर नियंत्रण
पचमढ़ी जाने वाली स्लीपर कोच बसों पर रोक लगा दी गई है। सड़कों की मरम्मत कराई गई है और मार्ग में चेतावनी संकेतक लगाए गए हैं।
🌧️ वर्षा में ही जाएं यात्रा पर
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे बरसात के मौसम में ही यात्रा करें, क्योंकि गर्मी और सूखे में यात्रा मार्ग में दुर्गंध और संक्रामक बीमारियों (जैसे हैजा) का खतरा बढ़ जाता है। कपूर, बरसाती और पानी की बोतल साथ रखना जरूरी बताया गया है।
📜 100 साल पुरानी परंपरा
नागद्वारी यात्रा की परंपरा 100 वर्षों से भी अधिक पुरानी है। 1959 में चौरागढ़ ट्रस्ट और 1999 में महादेव मेला समिति का गठन किया गया। यह यात्रा हर वर्ष श्रद्धा, अनुशासन और विश्वास का अद्भुत उदाहरण बनती जा रही है।
📷 हर हर महादेव के जयकारों से गूंजते पहाड़
श्रद्धालु यात्रा के दौरान “हर भोला”, “हर हर महादेव”, “एक नमन शिव गौरा” जैसे जयघोषों के साथ आध्यात्मिक वातावरण निर्मित करते हैं। यह यात्रा केवल शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो भक्तों को शिव के सान्निध्य का अनुभव कराती है।
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