Oppose: उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ के लिए स्थायी कुंभ नगरी विकसित करने की योजना पर प्रशासन और किसानों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार 2378 हेक्टेयर जमीन पर 2000 करोड़ की लागत से स्थायी सुविधाएं विकसित करना चाहती है, जबकि किसान अपनी जमीन का बड़ा हिस्सा खोने से नाराज हैं।
प्रमुख मुद्दे और संभावित समाधान
1️⃣ किसानों की आपत्तियां:
🔸 भूमि अधिग्रहण का तरीका: लैंड पुलिंग स्कीम के तहत किसानों की आधी जमीन ली जा रही है, जिससे छोटे किसान प्रभावित होंगे।
🔸 आर्थिक सुरक्षा: किसानों को मुआवजा देने की बजाय डेवलपर्स की तरह हिस्सेदारी देने की मांग उठ रही है।
🔸 स्थायी निर्माण पर सवाल: अभी तक सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण प्रतिबंधित था, फिर अब क्यों किया जा रहा है?
2️⃣ सरकार का पक्ष:
✅ हर 12 साल में सिंहस्थ के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
✅ चौड़ी सड़कों, बिजली, पानी और सीवेज जैसी सुविधाओं से उज्जैन को अंतरराष्ट्रीय स्तर का धार्मिक केंद्र बनाया जाएगा।
✅ भविष्य में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को संभालने के लिए कुंभ नगरी की जरूरत है।
क्या हो सकता है बीच का रास्ता?
🔹 किसानों की सहमति से परियोजना में बदलाव: ज़मीन के बदले सिर्फ मुआवजा देने की बजाय, किसान को भूमि पुनर्वितरण या मुनाफे में हिस्सेदारी दी जाए।
🔹 मौजूदा भूमि उपयोग को ध्यान में रखते हुए योजना बनाई जाए: किसान अपने घर और छोटे व्यवसाय बनाए रख सकें।
🔹 पारदर्शिता: सरकार किसानों को पूरी योजना स्पष्ट रूप से बताए ताकि अनिश्चितता और विरोध कम हो।
🔹 धार्मिक संतों और स्थानीय समुदाय से रायशुमारी: कुंभ नगरी का स्वरूप धार्मिक परंपराओं के अनुरूप हो, जिससे संत-महात्माओं की सुविधा बनी रहे।
सरकार की योजना उज्जैन को वैश्विक स्तर का आध्यात्मिक केंद्र बनाने की दिशा में है, लेकिन किसानों के हितों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। दोनों पक्षों के बीच संवाद और संतुलन जरूरी है ताकि उज्जैन का विकास और किसानों का भविष्य, दोनों सुरक्षित रहें।
source internet… साभार….
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