लगातार 9 चुनाव जीतने का रिकार्ड भाजपा का नाम
सच हो रही है अटल बिहारी वाजपेयी की भविष्यवाणी

Political Review: बैतूल। 77 साल में जिले की राजनीति में ऐसे कई रिकार्ड भाजपा ने अपने नाम कर लिए हैं जिनको तोडऩा विपक्षी दलों के लिए वर्तमान राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में संभव नहीं दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि 2014 से देश में बहुमत की सरकार बन रही हैं इसलिए सरकारें पांच साल का कार्यकाल भी पूर्ण कर रही है। बैतूल के लिए भी यह सर्वविदित है कि इस लोकसभा सीट से जिस दल का प्रत्याशी चुनाव जीतता है केंद्र में उसकी सरकार बनती है। उसका एकमात्र अपवाद 2004 का चुनाव रहा है। इसी तरह से भाजपा का लोकसभा चुनाव को लेकर यह भी रिकार्ड बना है कि 1996 से बैतूल लोकसभा सीट पर लगातार 9 चुनाव से भाजपा का कब्जा बरकरार है वहीं भाजपा के 1 प्रत्याशी 4 बार और 2 प्रत्याशी दो-दो बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं। यह भी एक रिकार्ड है।
1996 से लगातार जीत रही भाजपा

1996 के चुनाव में भाजपा ने नए उम्मीदवार के रूप में कर सलाहकार विजय कुमार खण्डेलवाल को चुनाव मैदान में उतारा था जो लगातार 1998, 1999 एवं 2004 के चुनाव भी जीते और 2007 में अपने अंतिम समय तक सांसद रहे। 2008 में हुए उपचुनाव में भी भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल विजयी रहे। वहीं 2009 एवं 2014 लोकसभा चुनाव में बैतूल सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होने पर श्रीमती ज्योति धुर्वे चुनाव जीती। इसी तरह से 2019 और 2024 में भाजपा के ही डीडी उइके चुनाव जीत रहे हैं। इस तरह से पिछले 28 साल से कांग्रेस को बैतूल लोकसभा सीट पर विजय हासिल नहीं हुई है। जबकि कांग्रेस हर बार उम्मीदवार बदल रही है।
34 वर्ष पूर्व कांग्रेस को मिली थी जीत

आजादी के ठीक बाद हुए चुनाव में पूरे देश में कांग्रेस का बोलबाला रहा था। इसी कड़ी में बैतूल सीट से भी लगातार तीन बार बाहरी उम्मीदवार के रूप में भीखूलाल चांडक 1952, 1957 और 1962 में चुनाव जीते। श्री चांडक कांग्रेस के ऐसे अंतिम उम्मीदवार रहे जो लगातार तीन चुनाव जीते। इसके बाद देश के चर्चित कर सलाहकार नागपुर निवासी एनपीके साल्वे को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया जो 1967 और 1971 का चुनाव जीते लेकिन 1977 में जनता पार्टी के स्थानीय उम्मीदवार सुभाष आहूजा से चुनाव हार गए। 1980 में कांग्रेस से भोपाल के गुफरान ए आजम, 1984 एवं 1991 में कांग्रेस से भोपाल के असलम शेर खान चुनाव जीते। जिले की इस सीट पर कांग्रेस की 34 वर्ष पूर्व यह अंतिम विजय थी। बाद में बैतूल के स्थानीय उम्मीदवारों को भी कांग्रेस ने टिकट दी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लोगों में स्थानीयता की भावना घर कर गई थी। बाद में कांग्रेस ने इस लोकसभा सीट पर जिले के स्थानीय उम्मीदवारों में डॉ. अशोक साबले, राजेंद्र जायसवाल, सुखदेव पांसे, ओझाराम इवने, रामू टेकाम एवं संसदीय क्षेत्र के अजय शाह को उम्मीदवार बनाया लेकिन सभी को हार का मुंह देखना पड़ा। अब तो हर चुनाव में हार का अंतर बढ़ता जा रहा है। 2024 का लोकसभा चुनाव तो कांग्रेस के रामू टेकाम 4 लाख से अधिक वोटों से चुनाव हार गए थे।
सच हो रही अटल जी की भविष्यवाणी

1996 में लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 11 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी लेकिन उन्हें लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा गया। लोकसभा में एक मत के कारण बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर पाई और वाजपेयी जी को केवल 13 दिनों में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस दिन अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में जो भाषण दिया था उस समय उन्होंने कहा था, ‘मेरी बात को गांठ बांध लें, आज हमारे कम सदस्य होने पर आप (कांग्रेस) हंस रहे हैं, लेकिन वो दिन आएगा, जब पूरे देश में हमारी सरकार होगी, उस दिन देश आप पर हंसेगा’।
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