Poor seeds: भोपाल/गंजबासौदा। मध्य प्रदेश में किसानों को घटिया और अमानक बीज बांटे जाने की गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। खास बात यह है कि इस गड़बड़ी का शिकार खुद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र के किसान ही हो गए हैं। रविवार को गंजबासौदा दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री खुद किसानों के खेतों में पहुंचे और सड़े हुए, अंकुरण रहित बीजों को देख कर नाराजगी जताई। उन्होंने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
खेतों में पहुंचे कृषि मंत्री, खुद निकाले बीज
विदिशा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गंजबासौदा में किसानों ने केंद्रीय मंत्री से शिकायत की कि उन्हें जो बीज वितरित किए गए, वे अंकुरित नहीं हो रहे हैं। शिकायत पर गंभीरता दिखाते हुए शिवराज सिंह चौहान मौके पर पहुंचे और खेतों में जाकर खुद बीजों की स्थिति देखी। इस दौरान उन्होंने खेत की मिट्टी खोदकर बीज निकाले, जो या तो सड़े हुए थे या बिल्कुल भी अंकुरित नहीं हुए थे।
किसानों को भारी नुकसान
एक किसान ने बताया कि उसने 7 बीघा खेत में 2 क्विंटल सोयाबीन का बीज बोया था, लेकिन पूरी बुआई बेकार चली गई। उसे दोबारा बीज खरीदकर बुआई करनी पड़ी। यही हाल क्षेत्र के अन्य किसानों का भी है, जिनकी फसलें खराब बीजों की वजह से बर्बाद हो गईं।
शिवराज सिंह ने दिए सख्त जांच के निर्देश
केंद्रीय कृषि मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“यह किसानों के साथ धोखा है। मैंने स्वयं खेत में जाकर बीजों की स्थिति देखी है। यह स्पष्ट रूप से अमानक बीज का मामला है। बीज कहां से आए, किसने सप्लाई किए, इसकी जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ गंजबासौदा ही नहीं, मध्य प्रदेश के अन्य जिलों से भी बीज अंकुरण न होने की शिकायतें मिल रही हैं।
दमोह में भी हुआ था हंगामा
इससे पहले दमोह जिले में भी अमानक बीज दिए जाने को लेकर किसान भड़क उठे थे। वहां बीज निगम द्वारा वितरित 219 क्विंटल सोयाबीन बीज में से 87 क्विंटल बीज अमानक पाया गया था। बावजूद इसके किसानों को वही बीज बांट दिया गया।
ट्रेन की जनरल बोगी में यात्रा कर सुनी यात्रियों की पीड़ा
रविवार सुबह शिवराज सिंह चौहान पंजाब मेल एक्सप्रेस से गंजबासौदा पहुंचे। उन्होंने जनरल कोच में यात्रा करते हुए यात्रियों से संवाद किया और उनकी परेशानियों को समझा। मंत्री ने कहा कि
“हर जनप्रतिनिधि को जनरल ही होना चाहिए। जब तक हम जनता के बीच नहीं जाएंगे, उनकी समस्याएं नहीं समझ पाएंगे।”
साभार…
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