Rain: भोपाल। बंगाल की खाड़ी में सक्रिय हो रहे निम्न दाब क्षेत्र और साइक्लोनिक सर्कुलेशन के असर से मध्यप्रदेश में 13 अगस्त से तेज़ बारिश का नया दौर शुरू होगा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह सिस्टम अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक सक्रिय रहेगा, जिससे कई जिलों में भारी बारिश और जलभराव की स्थिति बन सकती है।
अभी की स्थिति
मौसम विभाग के अनुसार, 1 जून से अब तक प्रदेश में औसत 28.8 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य का 78 प्रतिशत है। यह औसत से 7.3 इंच ज्यादा है। पूर्वी संभागों — जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल में 37% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है, जबकि पश्चिमी हिस्से — भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और नर्मदापुरम में 27% ज्यादा पानी गिरा है।
कहाँ ज्यादा-कहाँ कम
सबसे अधिक बारिश गुना में 45.8 इंच, निवाड़ी में 45.1 इंच, मंडला और टीकमगढ़ में 44 इंच तथा अशोकनगर में लगभग 42 इंच हुई है। वहीं, इंदौर, बुरहानपुर, बड़वानी, खरगोन और खंडवा में 13 इंच से भी कम पानी गिरा है।
ऐतिहासिक रिकॉर्ड
भोपाल में अगस्त का सर्वाधिक रिकॉर्ड 35 इंच (2006) है, जबकि इंदौर में 28 इंच (1944) दर्ज हुआ था। पिछले सालों में भी अगस्त में कई बार भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बने हैं।
आगे का पूर्वानुमान
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 13-14 अगस्त से बारिश की गतिविधियां तेज होंगी और यह सिलसिला महीने के अंत तक जारी रह सकता है। कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी है, खासकर निचले इलाकों में बाढ़ और जलभराव का खतरा बढ़ जाएगा।
चेतावनी
रविवार को हरदा, नर्मदापुरम और बैतूल में भारी बारिश का अलर्ट है। लोगों को नदियों-नालों के किनारे जाने से बचने और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
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