Respect: भोपाल। देहदान और अंगदान को लेकर देश में जागरूकता भले ही सीमित हो, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार अब इसे जन आंदोलन का रूप देने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा के अनुसार, अब राज्य में देहदान अथवा अंगदान (हृदय, लीवर, किडनी) करने वाले नागरिकों को गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी जाएगी। इसके साथ ही उनके परिजनों को भी 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाएगा। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने विधिवत आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे यह निर्णय अब औपचारिक रूप से लागू हो गया है। सरकार का उद्देश्य इस फैसले के जरिए समाज में अंगदान और देहदान को लेकर सकारात्मक सोच विकसित करना है।
परिजनों को मिलेगा प्रशस्ति पत्र
जारी आदेश के अनुसार, देहदान करने वाले व्यक्ति के परिजनों को जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान जिले के प्रभारी मंत्री या कलेक्टर द्वारा प्रदान किया जाएगा।
48 घंटे में करना होगा पार्थिव शरीर का अस्पताल में हस्तांतरण
देहदान के इच्छुक व्यक्ति राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। मृत्यु के बाद अधिकतम 48 घंटे के भीतर परिजनों को पार्थिव शरीर संबंधित अस्पताल में जमा करना अनिवार्य होगा।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कही ‘अमरता’ की बात
इस फैसले की पुष्टि करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर लिखा:
“मृत्यु के बाद जीवन का उपहार देना — यह केवल दान नहीं, अमरता है। मध्यप्रदेश सरकार का संकल्प है कि देहदान अथवा अंगदान करने वाले महान लोगों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा और उनके परिजनों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाएगा।”
जागरूकता की दिशा में एक अहम पहल
देश में अंगदान और देहदान को लेकर जागरूकता अभी भी सीमित है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह पहल समाज में संकोच और भ्रांतियों को दूर कर सकती है, और आने वाले वर्षों में अंगदाताओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
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