जनजाति पर्वों और प्रकृति संरक्षण विषय पर भारत भारती में हुई संगोष्ठी में वक्ताओं ने
Seminar: बैतूल। जनजाति समाज हमेशा से ही प्रकृति को संरक्षित करने वाला रहा है। जनजाति समाज के लोग नदी, पहाड़, पेड़ और प्रकृति की वर्षों बरस से पूजा करते चले आ रहे हैं। सही मायने में जनजाति समाज ही प्रकृति को संरक्षित कर रहा है। उक्त उद्बोधन गोंडी भाषा में विश्व के पहले समाचार पत्र लोकांचल के बैनर तले भारत भारती में जनजाति पर्वों पर प्रकृति संरक्षण विषय पर हुई जिला स्तरीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करे हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष हंसराज धुर्वे ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनजाति शिक्षा के अखिल भारतीय संयोजक बुधपालसिंह ठाकुर, विशिष्ट अतिथि जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष(राज्य मंत्री दर्जा) मोहन नागर, लोकांचल समाचार पत्र के प्रकाशक/संपादक मयंक भार्गव, जनजाति शिक्षा के प्रांत प्रमुख रूप सिंह लोहाने एवं पूरनलाल परते, भाऊराव देवरस सेवा न्यास के सदस्य नागोराव सिरसाम, जिला प्रमुख राजेश वर्टी एवं जिले के लोकांचल संवाददाता उपस्थित थे।
जिपं उपाध्यक्ष ने गोंडी में रखी अपनी बात

संगोष्ठी में अध्यक्षता कर रहे हंसराज धुर्वे ने जनजाति पर्वों में प्रकृति संरक्षण पर अपनी बात गोंडी बोली में रखते हुए बताया किस प्रकार जनजाति समाज अपने सभी तीज त्यौहार एवं पर्व प्रकृति जीव जंतुओं के साथ तालमेल बैठा कर मानता है। और इसका विशेष ध्यान रखता है कि प्रकृति या जीव जंतुओं को कोई नुकसान ना हो। उन्होंने कहा कि विश्व का एकमात्र गोंडी भाषा में प्रकाशित होने वाला लोकांचल समाचार पत्र गोंडी भाषा सहित संस्कृति को सहजने का काम कर रहा है।
प्रकृति से त्यौहारों का संबंध: बधपाल सिंह
मुख्य अतिथि बुधपालसिंह ठाकुर ने बताया कि आज हम सभी आधुनिक युग में जी रहे हैं। जनजाति समाज के सारे तीज त्यौहार पर्वों का संबंध कही न कहीं प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है। इस बात के साक्ष्य के रूप में जनजाति समाज के लोकगीत लोक नृत्य पूजा पद्धतियों में दिखता भी है। इसे आने वाली पीढ़ी के लिए साक्ष्य के रूप में हमें डॉक्यूमेंट के रूप में हमें इसमें सभी जानकारियों का डॉक्यूमेंटेशन करना है। बुद्धपाल सिंह ठाकुर ने कहा कि आदिवासी संस्कृति और त्यौहारों की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर लोकांचल यह काम पूरी शिद्दत से कर रहा है।
प्रकृति पूजक है जनजाति समाज: मोहन नागर
विशिष्ट अतिथि मोहन नागर ने अपनी बात रखते हुए कहा जनजाति समाज प्रकृति पूजक है इसी प्रकार इस देश में निवास करने वाला नदी की पूजा करता है। पेड़ों की पूजा करता है। अलग-अलग जीव जंतुओं की पूजा करता है। वे सभी प्रकृति पूजक की है। इन सभी विषयों को हमें विज्ञान के साथ-साथ धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भी देखें तो हम सही में हमारी आनेवाली पीढ़ी को प्रकृति संरक्षण के साथ जोड़ सकते हैं। श्री नागर ने कहा कि जनजाति समाज की प्रमुख गोंडी भाषा में समाचार प्रकाशित होना जिले और समाज के लिए गौरव की बात है।
जनजाति क्रियाकलापों का होगा प्रमुखता से प्रकाशन:मयंक भार्गव
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए लोकांचल समाचार पत्र के प्रकाशक/संपादक मयंक भार्गव ने सबसे पहले लोकांचल की यात्रा पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात उन्होंने कहा कि जनजाति समाज के तीज, त्यौहार, संस्कृति, पूजा-पाठ सहित अन्य क्रियाकलापों को समाचार पत्र में प्राथमिकता के साथ स्थान देकर प्रकाशन किया जाएगा। उन्होंने उपस्थिति सभी प्रबुद्धजनों को आश्वासन दिया कि जनजाति भाषा, संस्कृति को संरक्षित करने में लोकांचल समाचार पत्र हमेशा अग्रणी रहेगा।
संवाददाताओं ने इन पर डाला प्रकाश
संगोष्ठी में जिले भर से आए अलग-अलग संवाददाताओं ने गोंडी एवं कोरकु बोली में प्रमुख रूप से पूजा पद्धति, पर्व त्यौहार, रीति रिवाज, जाति गौत्र आदि में पेड़, पशु पक्षी, नदी, पहाड़ को आराध्य मानने की जानकारी विस्तार से दी। जनजाति समाज के अलग-अलग तीज त्यौहार पूजा पद्धति रीति रिवाज किस प्रकार प्रकृति के साथ मेल खाते है। जनजाति समाज के कुल गोत्र कैसे प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है इस पर अपनी-अपनी बात रखी। जैसे राजेश वर्टी ने गोंड समाज में घर की शुद्धि के लिए उजाल रोटी पर, संजू कवड़े ने कुल गोत्र पर, अनिल उइके ने पेड़ पौधों एवं जीव जंतुओं के साथ किस प्रकार संबंध है इस विषय पर अपनी बात गोंडी बोली में रखी। अतिथि परिचय सुनील वाड़िवा ने कराया कार्यक्रम का संचालन नागोराव सिरसाम ने किया।
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