Statue: भोपाल। नवरात्रि पर्व के दौरान जहां पूरे देश में मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं, वहीं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित राज्य पुरातत्व संग्रहालय में मां दुर्गा की प्राचीन प्रतिमाएं आज भी सुरक्षित हैं। इनमें से कुछ प्रतिमाएं ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी की हैं, जो इस बात का प्रमाण देती हैं कि प्राचीन काल से ही मातृशक्ति की पूजा देवी के रूप में होती आई है।
निनोर से मिली सबसे प्राचीन प्रतिमा
- सीहोर जिले के निनोर में 1996–1999 के बीच हुए उत्खनन में 12 सेंटीमीटर लंबी, 6 सेंटीमीटर चौड़ी और 1 सेंटीमीटर मोटी प्रतिमा मिली।
- इसे धुमक्कड़ लोग अपने साथ पूजा के लिए रखते थे।
- यह प्रतिमा मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरूप को दर्शाती है।
गुप्तकाल और परमारकाल की धरोहरें
- मंदसौर के हिंगलाजगढ़ से मिली 11वीं सदी की प्रतिमा में मां दुर्गा के विभिन्न रूप एक साथ उकेरे गए हैं।
- यह चारभुजी प्रतिमा अपनी कलात्मकता और सुंदरता के लिए खास मानी जाती है।
चामुंडा और बहुभुजी प्रतिमाएं
- संग्रहालय में 10वीं सदी की मां चामुंडा की प्रतिमा भी है, जो लगभग 5 फीट ऊंची है।
- इसमें मां दुर्गा को 12 भुजाओं के साथ दर्शाया गया है, जिनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र, वेद और पुष्प हैं।
- वहीं, छतरपुर जिले के श्रवणकाल नाछला से मिली 18 भुजाओं वाली प्रतिमा परमारकाल की मानी जाती है। इसमें मां दुर्गा को तमाम अस्त्र-शस्त्र के साथ दिखाया गया है।
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