Technology: भोपाल | रेलवे यात्रियों के लिए राहत की खबर है। पश्चिम मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले भोपाल मंडल में अब ट्रेनें सिग्नल के इंतजार में देरी का शिकार नहीं होंगी। इसके पीछे वजह है — देश में पहली बार निशातपुरा रेलवे यार्ड में शुरू की गई ऑप्टिकल फाइबर आधारित सिग्नलिंग तकनीक, जिसे ‘लैम्प आउटपुट मॉड्यूल’ (Lamp Output Module) के नाम से जाना जा रहा है।
यह नई प्रणाली अब तक की पारंपरिक वायरिंग सिग्नल प्रणाली की तुलना में कहीं अधिक तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय है।
क्या है नई तकनीक?
अब तक रेलवे ट्रैक पर लगे सिग्नल भारी तारों के ज़रिए कंट्रोल किए जाते थे। इसमें समय भी ज्यादा लगता था और तकनीकी खराबी की आशंका भी बनी रहती थी। लेकिन इस नई प्रणाली में सिग्नल ऑप्टिकल फाइबर लाइन से कंट्रोल होंगे, जिससे डेटा और निर्देशों का ट्रांसमिशन कहीं ज्यादा तेजी से होगा।
सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया,
“नई तकनीक में फाइबर के ज़रिए सिग्नल भेजे जाएंगे, जिससे न केवल सिग्नलिंग फास्ट होगी बल्कि किसी एक लाइन में खराबी आने पर भी दूसरी लाइन से कार्य जारी रहेगा।”
नई तकनीक के प्रमुख फायदे
- ✔️ तेज और सुरक्षित सिग्नलिंग: फाइबर आधारित तकनीक के चलते सिग्नल फास्ट रिस्पॉन्स करेंगे।
- ✔️ सिग्नल ब्लैंक नहीं होंगे: कोई तकनीकी गड़बड़ी आने पर भी ट्रेन को सही संकेत मिलते रहेंगे।
- ✔️ कम वायरिंग: भारी तारों की आवश्यकता नहीं, जिससे सिस्टम हल्का और सरल होगा।
- ✔️ स्वचालित सुरक्षा: सिस्टम के साथ ऑटो-कूलिंग फैन जुड़ा है, जो मशीन को गर्म होने से बचाएगा।
- ✔️ डुअल लाइन सपोर्ट: एक लाइन फेल होने पर दूसरी चालू रहेगी, जिससे सिग्नलिंग बाधित नहीं होगी।
- ✔️ कम रखरखाव, अधिक विश्वसनीयता: खराबी की आशंका बेहद कम।
कहां और कब तक लागू होगा ये सिस्टम?
फिलहाल यह तकनीक भोपाल के निशातपुरा यार्ड में दो सिग्नलों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई है। रेलवे का लक्ष्य है कि जून 2026 तक भोपाल से बीना के बीच पूरे रेलखंड में यह तकनीक पूरी तरह लागू कर दी जाए।
यात्रियों को मिलेगा बड़ा फायदा
इस नई तकनीक के लागू होने से न सिर्फ ट्रेनों की समयबद्धता सुधरेगी, बल्कि यात्रा के दौरान सुरक्षा भी बढ़ेगी। रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि यह कदम भारतीय रेलवे के डिजिटल और आधुनिकीकृत भविष्य की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
साभार…
Leave a comment