कारोबारी बोले – ‘हाउसबोट खाली, टैक्सी खड़ी, खच्चर पहाड़ों में छोड़े
Tourism: श्रीनगर | 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन कश्मीर घाटी में टूरिज्म अब तक उबर नहीं पाया है। वादियों में पसरा सन्नाटा, खाली पड़ी हाउसबोट, बंद होटल और बेरोजगार टैक्सी ड्राइवर कश्मीर के टूरिज्म सेक्टर की बदहाली की गवाही दे रहे हैं।
डल झील में नहीं दिखे टूरिस्ट, बुलवार्ड रोड पर पसरा सन्नाटा
श्रीनगर की डल झील, जो आमतौर पर टूरिस्टों से गुलजार रहती है, इस बार पूरी तरह वीरान है। डल गेट के पास की बुलवार्ड रोड जो हमेशा चहल-पहल से भरी रहती थी, अब सुनसान है। जब टीम यहां पहुंची, तो उन्हें बात करने के लिए कोई टूरिस्ट तक नहीं मिला।
‘टूरिज्म ही हमारी जिंदगी था, अब कुछ नहीं बचा
हाउसबोट कारोबारी मोहम्मद याकूब दुन्नू बताते हैं कि उनका परिवार चार पीढ़ियों से इस कारोबार से जुड़ा है। “मेरे परदादा ने ये हाउसबोट 110 साल पहले बनवाई थी। हर साल मई-जून में टूरिज्म पीक पर होता था, लेकिन इस बार हालात अलग हैं। पहलगाम हमला हमारे लिए बदकिस्मती साबित हुआ,” याकूब कहते हैं।
‘हर महीने की किस्त नहीं भर पा रहा’, टैक्सी ड्राइवरों का दर्द
बांदीपोरा के टैक्सी चालक इशफाक अहमद का कहना है कि उन्होंने 6 लाख की कार खरीदी थी, जिसकी किस्त 14 हजार रुपये महीना है। “पहले रोजाना 3-4 हजार रुपये कमा लेता था। अब पूरे महीने से कोई टूर नहीं मिला। गाड़ी यूं ही खड़ी है,” वे बताते हैं।
खच्चर वाले भी बेहाल, जानवरों को जंगल में छोड़ा
पोनी एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहीद वानी बताते हैं कि “पहलगाम में हर दिन 500 से ज्यादा गाड़ियां आती थीं। अब टूरिस्ट आ ही नहीं रहे। हमने खच्चर और घोड़े जंगलों में छोड़ दिए हैं क्योंकि उन्हें खिलाने का भी पैसा नहीं बचा है।”
‘जितने टूरिस्ट आएंगे, आतंकियों के मुंह पर उतना बड़ा तमाचा होगा
याकूब का कहना है कि यह सिर्फ एक हमले का मामला नहीं, बल्कि आतंकियों और आम कश्मीरियों के बीच एक जंग है। “अगर टूरिस्ट आएंगे, तो ये आतंक के खिलाफ हमारी जीत होगी। सरकार से अपील है कि प्रचार करे और लोगों को विश्वास दिलाए कि कश्मीर सुरक्षित है।”
सरकार का दावा और ज़मीनी हकीकत में फर्क
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में विधानसभा में बताया था कि 2024 में 2.35 करोड़ टूरिस्ट जम्मू-कश्मीर आए, जो अब तक का रिकॉर्ड है। लेकिन 2025 की शुरुआत में ही पहलगाम हमले ने इस ग्रोथ को बड़ा झटका दिया है। सरकार की ओर से एडवेंचर, इको, गोल्फ और हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात तो होती है, लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं।
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