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Visa fees: अमेरिका ने H-1B वीजा फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर की, भारतीय आईटी पेशेवरों पर प्रभाव

अमेरिका ने H-1B वीजा फीस बढ़ाकर

Visa fees: ई दिल्ली/वॉशिंगटन। अमेरिका ने H-1B वीजा के लिए वार्षिक एप्लिकेशन फीस 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) करने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में इस ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए। पहले यह फीस 1 से 6 लाख रुपए के बीच थी।

ट्रम्प गोल्ड कार्ड और अन्य सुविधाएँ

अमेरिका ने इस योजना के तहत ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’ जैसी नई सुविधाएँ भी शुरू की हैं।

  • ट्रम्प गोल्ड कार्ड (8.8 करोड़ रुपए कीमत) धारक को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी मिलेगी।
  • इस कार्ड के माध्यम से केवल सबसे योग्य और टॉप-क्लास कर्मचारी अमेरिका में लंबे समय तक रह पाएंगे।
  • शुरुआत में सरकार लगभग 80,000 गोल्ड कार्ड जारी करेगी।

कंपनियों और भारतीय पेशेवरों पर असर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए नियम का सबसे बड़ा असर भारतीय आईटी और तकनीकी पेशेवरों पर होगा। कंपनियों को अब केवल सबसे ज्यादा स्किल वाले कर्मचारियों को ही अमेरिका बुलाने की अनुमति होगी।

  • माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और जेपी मॉर्गन जैसी कंपनियों ने H-1B वीजा होल्डर कर्मचारियों को अमेरिका में रहने की सलाह दी है।
  • H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय हैं, यानी 2 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो सकते हैं।

फीस और रिन्यू की जानकारी

  • H-1B वीजा आमतौर पर 3 साल के लिए मिलता है, जिसे 3 साल और बढ़ाया जा सकता है।
  • अब हर रिन्यू पर 88 लाख रुपए तक की फीस लग सकती है।
  • हर साल अमेरिका में लगभग 85,000 H-1B वीजा जारी होते हैं।

EB-1 और EB-2 की जगह लेगा गोल्ड कार्ड

  • अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के अनुसार, यह नया गोल्ड कार्ड EB-1 और EB-2 वीजा की जगह लेगा।
  • आवेदक सरकारी वेबसाइट trumpcard.gov पर नाम, ईमेल और क्षेत्र की जानकारी देकर आवेदन कर सकते हैं।
  • आवेदन पर 15,000 डॉलर जांच फीस और सख्त सुरक्षा जांच लागू होगी।

ट्रम्प प्रशासन का मकसद

राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि यह नया वीजा प्रोग्राम धनी और टैलेंटेड विदेशी नागरिकों के लिए है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका में केवल सबसे योग्य कर्मचारी ही आएँ और अमेरिकी नौकरियों को प्रभावित न करें।

भारतीय आईटी कंपनियों की चुनौती

  • H-1B वीजा महंगा होने से भारतीय पेशेवर यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मिडिल ईस्ट की ओर रुख कर सकते हैं।
  • इंफोसिस, TCS, विप्रो, HCL और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियाँ सबसे ज्यादा H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं।
  • साभार… 

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