Stoppage: प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर शैक्षणिक सामग्रियों की खरीद के लिए दबाव डालने के मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। जारी आदेश में प्राइवेट स्कूलों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, और अन्य सामग्रियां जबरन बेचने पर रोक लगा दी गई है।
आदेश की मुख्य बातें:
- स्कूल सामग्रियों की बिक्री पर प्रतिबंध:
- प्राइवेट स्कूल अब यूनिफॉर्म, टाई, जूते, बैग जैसी सामग्रियां जबरन नहीं बेच सकेंगे।
- शैक्षणिक सामग्रियों पर स्कूल का नाम छापने पर भी रोक लगाई गई है।
- पाठ्य-पुस्तकों की सूची सार्वजनिक करना अनिवार्य:
- सभी स्कूलों को सत्र आरंभ से पहले लेखक, प्रकाशक और पुस्तकों की कीमत सहित कक्षावार सूची तैयार करनी होगी।
- यह सूची स्कूल के सूचना पटल पर प्रदर्शित करनी होगी और मांगने पर छात्रों या अभिभावकों को उपलब्ध करानी होगी।
- खुले बाजार से खरीद की स्वतंत्रता:
- अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
- वे अपनी पसंद की किसी भी दुकान से सामग्री खरीद सकते हैं।
- ऑनलाइन और ऑफलाइन जानकारी जमा करना:
- स्कूलों को 15 जनवरी 2025 तक पाठ्य-पुस्तकों और प्रकाशकों की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करनी होगी।
- एक हार्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा करनी होगी।
- आदेश का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई:
- आदेश न मानने वाले स्कूलों के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
प्रभाव:
- अभिभावकों को राहत:
- अब प्राइवेट स्कूल मनमाने दाम पर सामग्री बेचने का दबाव नहीं बना सकेंगे।
- शैक्षणिक सामग्री खुले बाजार से खरीदने की आजादी होगी।
- पारदर्शिता में सुधार:
- कक्षावार पाठ्य-पुस्तकों और प्रकाशकों की जानकारी सार्वजनिक करने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
भोपाल कलेक्टर का यह कदम प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने और अभिभावकों को राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस आदेश से शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और अभिभावकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी।
source internet… साभार….
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