Birth Waiting Home: मध्य प्रदेश सरकार ने प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के 47 जिलों के 71 सिविल अस्पताल और 249 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ‘बर्थ वेटिंग होम’ शुरू किए जाएंगे। यह पहल गर्भवती महिलाओं को प्रसव की संभावित तारीख से एक हफ्ते पहले सुरक्षित और संस्थागत प्रसव के लिए अस्पताल में रुकने की सुविधा प्रदान करेगी।
क्या है ‘बर्थ वेटिंग होम’?
- प्रसव पूर्व देखभाल: यहां गर्भवती महिलाओं की पोषण संबंधी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाएगा।
- सुमन हेल्प डेस्क और आशा कार्यकर्ता: नियमित जांच और बीमारियों का ब्यौरा रखा जाएगा।
- आर्थिक सहायता: गर्भवती महिलाओं को ठहरने के दौरान प्रतिदिन ₹100 की सहायता दी जाएगी।
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता
आदिवासी बहुल झाबुआ, आलीराजपुर, और बड़वानी जिलों में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है। अब तक 119 संस्थानों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।
मध्य प्रदेश की मातृ मृत्यु दर: एक चिंताजनक स्थिति
- मातृ मृत्यु दर: राज्य में मातृ मृत्यु दर 1 लाख प्रसव में 173 है, जो राष्ट्रीय औसत 97 से काफी अधिक है।
- शिशु मृत्यु दर: प्रत्येक 1,000 नवजात में से 35 की मृत्यु हो जाती है।
- कारण: दुर्गम क्षेत्रों में अस्पतालों की कमी और होम डिलीवरी के मामले अधिक होने से मातृ मृत्यु दर बढ़ रही है।
सरकार की रणनीति
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारियों ने सात राज्यों के मॉडलों का विश्लेषण करके एक नई पॉलिसी तैयार की है। इस योजना के तहत आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं को अस्पताल आने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि हाई-रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान कर स्वास्थ्य सेवाओं की मॉनिटरिंग की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि बर्थ वेटिंग होम में ठहरने से गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी और मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी।
सरकार का लक्ष्य
सरकार का उद्देश्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाकर और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करके मातृ और शिशु मृत्यु दर को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाया जाए। यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगी बल्कि दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी माध्यम बनेगी।
source internet… साभार….
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