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Mild Hybrid Car – ये तीन टेक्नॉलाजी वाली हाइब्रिड कार में क्या अंतर हैं और कारों के लिए क्यों आवश्यक है

Mild Hybrid Carमाइल्ड हाईब्रिड और स्ट्रॉग हाईब्रिड और प्लग इन हाइब्रिड इन तीनों टेक्नोलॉजी वाली कारों में क्या है अंतर? और इनका कार में क्या काम होता है। आज के समय में लगभग सभी लोगों के पास अपनी-अपनी कारें है और हर इंसान उसकी बेसिक जानकारी के बारे में जानकारी हमेशा से ही रखता है।

लेकिन अधिकतर लोग कुछ चीजों के बारे में नहीं जानते हैं उसमें माइल्ड हाईब्रिड स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड और प्लग- इन तीनों हाइब्रिड टेक्नोलॉजी शामिल है। ये तीनों टेक्नोलॉजी क्या काम करती हैं? कैसे काम करती है? और तीनों में क्या अंतर है जो इन्हें एक दूसरे से अलग बनाता है। आज हम आपको यहां कार में मिलने वाली इन तीनों टेक्नोलॉजी के बीच क्या अंतर है और तीनों टेक्नॉलाजी के क्या काम करते है इसके बारे में बताते है।

माइल्ड हाईब्रिड टेक्नोलॉजी का कार में क्या है इसका महत्व – Mild Hybrid Car

माइल्ड हाइब्रिड एक ऐसे व्हीकल को रेफर करता है जिसमें अंदरूनी कंबन्शन इंजन होता है जो एक छोटे -छोटे इलेक्ट्रिक ड्राइव के सपोर्ट से होता है। इलेक्ट्रिक मोटर ब्रेकिंग एनर्जी रिकवरी को ठीक करता है और इसे बाद में पेट्रोल और डीजल की खपत को कम करने के लिए एडीशनल ड्राइव पावर ऑफर कराता है।

माइल्ड हाइब्रिड माइलेज देने के लिए उपयोग किया जाता है

फुल हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक कार की तुलना मे एक और माइल्ड हाइब्रिड को केवल लीमिटेड एक्सटेंट तक ही इलेक्ट्रिक मोड में चलाया जा सकता है। माइल्ड हाइब्रिड ज्यादा माइलेज देने के लिए इसका उपयोग भी किया जाता है और मारुति की कारों से लेकर लग्जरी कारों तक में ये टेक्नोलॉजी देखने को मिल सकती है।

स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड टेक्नोलॉजी | Mild Hybrid Car

स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड टेक्नोलॉजी फिलहाल ज्यादा कार में नहीं आती है लेकिन ये टोयोटा होंडा और मारुति जैसी कारे कंपनी की गाड़ियों में देखने को मिल जाती है। स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड टेक्नोलॉजी में कंबन्शन इंजन और एक इलेक्ट्रिक मोटर होता है और ये दोनों ही एक साथ काम करते हैं। ये लो स्पीड में सिटी ड्राइविंग जैसे पार्ट्स को पावर भी देता है।

टेक्नोलॉजी मारूति, होंडा जैसी कोरों में होती है

ऐसे में जब ड्राइवर ज्यादा स्पीड में कार को चलाता है तो इंजन में पावर आ जाती है। इससे इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के बीच शफलिंग सेट – अप से तय की जाती है और बेहतरीन फ्यूल एफिशिएंसी ऑफर करता है। कार में इस टेक्नोलॉजी को सबसे पहले शुरुआत होंडा ने (2008) में की थी। ये टेक्नोलॉजी मारुति, टोयोटा और होंडा कार को में देखने को मिलती है।

प्लग इन हाईब्रिड | Mild Hybrid Car

प्लग – इन हाइब्रिड व्हीकल, इंजन और रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग से चार्ज किए जाने के अलावा, बस प्लग इन करके टॉप किया जा सकता है। पीएईवी अर्बन इनवायर्मेंट में इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरह काम कर सकते हैं और टेल -पाइप एमिशन को काफी कम कर सकते हैं।

भारत में पीएईवी टेक्नोलॉजी कुछ ही कार में देखने को मिलती है इसमें वॉलवो एक्ससी 90 और पोर्श क्यान जैसी लग्जरी एसयूवी, पोर्श पानामेरा सेडान और फेरारी एसएफ 90सट्रैडल जैसी सुपर कार शामिल हैं।

Source – Internet

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