अमेरिकी राष्ट्रपति ने ड्रैगन को क्यों दी खुली धमकी?
Jalwa: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भारत को विशेष तवज्जो देने और चीन के खिलाफ उनके सख्त बयान ने वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया। ट्रंप के शपथ ग्रहण में भारतीय प्रतिनिधि, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी उपस्थिति दर्ज की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि ट्रंप भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने में रुचि रखते हैं। यह संकेत देता है कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत हो सकती है, खासकर व्यापार, रक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा मामलों में। ट्रंप का भारत के प्रति विशेष सम्मान और उनकी नीतियों में बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है।
दूसरी ओर, ट्रंप ने चीन को लेकर एक कड़ा संदेश दिया। शपथ ग्रहण के बाद, ट्रंप ने चीन के खिलाफ अपनी नीतियों को साफ किया, जिसमें उन्होंने चीनी ऐप्स जैसे टिक-टॉक के खिलाफ पहले से किए गए प्रतिबंधों पर बात की। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह बाइटडांस से समझौता करने की कोशिश करेंगे, ताकि उसे चीन के प्रभाव से दूर किया जा सके। इसके अलावा, ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि चीन ने उनके व्यापारिक प्रस्तावों और व्यापार समझौतों में अडंगा डाला, तो वह उस पर 100% टैरिफ भी लगा सकते हैं। यह चीन के लिए एक कड़ा आर्थिक संदेश था, जो उसे व्यापारिक नीतियों के संबंध में कठोरता का सामना करने की चेतावनी देता है। इस प्रकार, ट्रंप की नीतियां और बयान यह संकेत देते हैं कि वे अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में भारत के साथ रणनीतिक गठजोड़ को मजबूत करने के पक्षधर थे और चीन के खिलाफ व्यापारिक दबाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे।
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