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Religious places: लेटे हनुमान मंदिर: संगम किनारे का अद्वितीय धार्मिक स्थल

लेटे हनुमान मंदिर: संगम किनारे का

Religious places: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद) में स्थित लेटे हनुमान मंदिर न केवल अपनी विशेष मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता इसे कुंभ मेले के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती है।


मंदिर की विशेषताएं:

  1. लेटी हुई प्रतिमा:
    • यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में स्थित है।
    • प्रतिमा के दर्शन को संगम स्नान के बाद अनिवार्य माना गया है।
  2. संगम स्नान का महत्व:
    • धार्मिक मान्यता के अनुसार, संगम में स्नान करने के बाद अगर श्रद्धालु लेटे हनुमान जी के दर्शन नहीं करते, तो स्नान का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।
    • संगम स्नान और मंदिर दर्शन को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है।
  3. प्राकृतिक घटना और हनुमान जी का स्नान:
    • हर साल गंगा में बाढ़ के दौरान मंदिर में पानी भर जाता है।
    • इसे धार्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि गंगा मां हनुमान जी का अभिषेक करने आती हैं।

मंदिर का नाम और पौराणिक कथा:

  • पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त की और अयोध्या लौट रहे थे, तो हनुमान जी को थकावट महसूस हुई।
  • माता सीता ने उन्हें संगम के किनारे विश्राम करने की सलाह दी।
  • हनुमान जी इस स्थान पर लेट गए, और यही स्थान लेटे हनुमान मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

धार्मिक मान्यता और श्रद्धा:

  1. मनोकामना पूर्ति:
    • यह मान्यता है कि लेटे हनुमान जी के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
    • श्रद्धालु जीवन में आने वाले संकट और दुखों से मुक्ति के लिए यहां विशेष पूजा करते हैं।
  2. विशेष दिन:
    • मंगलवार और शनिवार के साथ-साथ त्योहारों के अवसर पर यहां विशेष भीड़ होती है।
    • श्रद्धालु अपनी मुराद पूरी होने पर हनुमान जी को झंडा और निशान चढ़ाते हैं।

महाकुंभ और लेटे हनुमान मंदिर:

  • महाकुंभ के दौरान संगम स्नान और लेटे हनुमान मंदिर के दर्शन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
  • 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान होगा, और इस दिन लेटे हनुमान मंदिर में विशेष रौनक देखने को मिलेगी।

लेटे हनुमान मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और पौराणिक कहानियों का संगम है। कुंभ मेले के दौरान यहां दर्शन करना न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि इसे भारतीय संस्कृति और आस्था का अद्वितीय प्रतीक भी बनाता है।


source internet…  साभार…. 

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