Oppose: भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी तेज होती जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ पार्टी के भीतर ही एक बड़ा खेमा सक्रिय हो गया है, जो उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रहा है।
पटवारी के खिलाफ कांग्रेस के भीतर गुटबाजी
📌 मीडिया टीम विवाद: जनवरी में कांग्रेस की मीडिया टीम की घोषणा पर भोपाल से दिल्ली तक विरोध हुआ, जिसके चलते पार्टी को एक घंटे के भीतर निर्णय स्थगित करना पड़ा।
📌 दिग्विजय सिंह का बयान: वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रदेश कांग्रेस में समन्वय की कमी की बात कही। इस बयान को कमलनाथ की मौन सहमति मिली, हालांकि, कमलनाथ ने पटवारी के साथ चर्चा की बात कहकर माहौल संभाल लिया।
📌 लोकसभा चुनाव में हार के बाद विरोध तेज: कांग्रेस की 29 लोकसभा सीटों पर हार के बाद पटवारी विरोधी गुट सक्रिय हुआ और उनसे इस्तीफे की मांग की गई। हालांकि, चूंकि कांग्रेस पूरे देश में चुनाव हारी थी, इसलिए हाईकमान ने इस मांग को खारिज कर दिया।
📌 अमरवाड़ा उपचुनाव की हार: कांग्रेस की हार के लिए पटवारी को जिम्मेदार ठहराया गया।
विजयपुर उपचुनाव में जीत से मजबूत हुए पटवारी
📌 विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पटवारी के लिए बड़ी राहत बनी।
📌 अगर कांग्रेस विजयपुर और बुधनी दोनों हारती, तो पटवारी का इस्तीफा मांगने की तैयारी हो चुकी थी।
📌 इस जीत से पटवारी के विरोधियों को झटका लगा और उनका कद पार्टी में मजबूत हुआ।
क्या आगे भी जारी रहेगा विरोध?
कांग्रेस में जारी आंतरिक कलह विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए चिंता का विषय है। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा अब भी जीतू पटवारी पर बना हुआ है, लेकिन विरोधी खेमा उन्हें कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा।
क्या कांग्रेस इस गुटबाजी को संभाल पाएगी, या फिर ये अंतर्कलह आगामी चुनावों में पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होगी?
source internet… साभार….
Leave a comment