Hearing: नई दिल्ली: यूनियन कार्बाइड के 337 टन खतरनाक कचरे के निस्तारण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है। अब इस मामले की सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
✅ सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार को कोर्ट में यह बताना था कि यदि पीथमपुर में कचरा जलाने के दौरान कोई दुर्घटना होती है, तो उसके पास क्या इंतजाम हैं।
✅ लेकिन जस्टिस बी.आर. गवई के अवकाश पर होने के कारण यह सुनवाई टाल दी गई।
✅ इसके तुरंत बाद, याचिकाकर्ता चिन्मय मिश्र ने शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन दायर कर दिया।
⚠️ क्यों हो रहा विरोध?
🔹 याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि पीथमपुर में 337 टन खतरनाक रासायनिक कचरे का निस्तारण किया जा रहा है।
🔹 इस क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में कई गांव बसे हुए हैं, जिससे वहां के लोगों का स्वास्थ्य गंभीर जोखिम में पड़ सकता है।
🔹 इस क्षेत्र में ‘गंभीर नदी’ बहती है, जो यशवंत सागर बांध को पानी उपलब्ध कराती है। यदि कोई रिसाव हुआ, तो पानी भी दूषित हो सकता है।
🏛️ कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना
🔥 कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नवनियुक्त प्रभारी हरीश चौधरी ने मंगलवार को पीथमपुर का दौरा किया।
🗣️ पटवारी का बयान:
✅ “अगर मुख्यमंत्री को भरोसा है कि यह कचरा सुरक्षित है, तो वे वहां के पानी की सैंपलिंग करवाएं।”
✅ “भाजपा, न्यायालय की आड़ में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाना चाहती है।”
✅ “इंदौर और पीथमपुर की जनता ने भाजपा को वोट दिया, लेकिन बदले में उन्हें यह जहर दिया जा रहा है।“
📌 आगे क्या होगा?
✅ अब 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी।
✅ राज्य सरकार को यह साबित करना होगा कि यदि कोई दुर्घटना होती है, तो उसके पास क्या सुरक्षा उपाय हैं।
✅ इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस मजबूत विरोध दर्ज करा रही है, जिससे यह मामला राजनीतिक रूप से भी गर्मा सकता है।
📢 क्या आपको लगता है कि पीथमपुर में इस तरह के कचरे का निस्तारण होना चाहिए? अपने विचार साझा करें!
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