Challenges: झुन्नी बाई की कहानी साहस, समर्पण और प्रेरणा का अद्भुत उदाहरण है। एक आदिवासी महिला होने के नाते, उन्होंने जिन चुनौतियों का सामना किया, वे आमतौर पर समाज में महिलाओं के लिए कठिन मानी जाती हैं।
20 सालों से जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा
झुन्नी बाई का पेंच टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 20 वर्षों से अधिक समय तक काम करना, वह भी एकमात्र महिला चौकीदार के रूप में, यह दर्शाता है कि उन्होंने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जंगल और वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
व्यक्तिगत संघर्ष और मजबूत इच्छाशक्ति
अपने पति को खोने के बाद, उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर महिला के रूप में स्थापित किया। आदिवासी समुदाय की महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना भी एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन झुन्नी बाई ने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।
राष्ट्रपति की मेहमान और राष्ट्रीय सम्मान
गणतंत्र दिवस 2025 पर उन्हें कर्तव्यपथ पर विशेष मेहमान के रूप में आमंत्रित किया जाना उनके जीवन की एक बड़ी उपलब्धि थी। यह सम्मान उनके समर्पण और वर्षों की मेहनत को दर्शाता है। झुन्नी बाई की कहानी हमें सिखाती है कि यदि हमारे पास दृढ़ निश्चय और मेहनत करने का जज्बा हो, तो परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, हम सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। यह महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण है!
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