Story: रामावतार यादव और उनके पोते अभयराज का रिश्ता सिर्फ दादा-पोते का नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मीयता और सच्चे स्नेह का था। उन्होंने अपने पोते को बचाने के लिए 42 किमी पैदल सफर किया, कोविड के दौरान साथ रहे और उसकी पसंद की शादी के लिए परिवार से लड़े। लेकिन जब अभयराज की मौत हुई, तो यह सदमा सहन नहीं कर पाए और जलती चिता में कूदकर जान दे दी।
एक दादा, जिसने हर पल पोते का साथ दिया
👣 42 किमी पैदल जनकपुर ले गए – बचपन में पीलिया होने पर दादा ने बिना रुके उसे इलाज के लिए लंबा सफर तय किया।
💖 कोविड के समय सब दूर हुए, लेकिन दादा साथ रहे – “चाहे मेरी जान चली जाए, पर मैं पोते के साथ रहूंगा”।
💍 पसंद की शादी के लिए परिवार से लड़े – “अगर ये जाएगा, तो मैं भी साथ जाऊंगा”।
🔥 आखिरकार पोते की मौत सहन नहीं हुई और चिता में कूद गए।
गांव के लोग दादा-पोते के इस अटूट रिश्ते को सलाम कर रहे हैं। लेकिन अब मासूम मुन्ना (8) और रागिनी (5) अनाथ हो गए हैं। परिवार के लिए यह दर्दनाक त्रासदी है, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
source internet… साभार….
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