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Shift: उज्जैन के काल भैरव मंदिर में शराब का भोग: परंपरा और बदलाव

उज्जैन के काल भैरव मंदिर में

Shift: उज्जैन, मध्य प्रदेश: धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान काल भैरव को प्रतिदिन मदिरा (शराब) का भोग लगाया जाता है। हाल ही में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 1 अप्रैल से धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी लागू किए जाने के बाद मंदिर में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। अब, मंदिर प्रबंधन स्वयं भगवान के भोग का प्रबंध कर रहा है, जिससे भक्तों को मंदिर में शराब लाने की आवश्यकता नहीं रह गई है।

शराब भोग की परंपरा: पौराणिक मान्यताएं और कथा

काल भैरव को मदिरा का भोग लगाने की परंपरा के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं:

  1. राजा विक्रमादित्य की कथा:
    मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में किसी ने भगवान की पूजा में अनिष्ट करने के उद्देश्य से भोग में मदिरा मिला दी थी। इसे चढ़ाने पर भगवान काल भैरव क्रोधित हो गए। इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने विशेष पूजा-अर्चना की, जिससे भगवान प्रसन्न हुए और तब से उन्हें मदिरा अर्पित करने की परंपरा शुरू हो गई।
  2. तांत्रिक परंपरा और शक्ति की साधना:
    काल भैरव को तांत्रिकों का देवता भी माना जाता है। तंत्र-साधना में मदिरा का उपयोग किया जाता था, और इसी परंपरा के चलते काल भैरव को मदिरा अर्पित करने की प्रथा शुरू हुई।
  3. तामसिक प्रवृत्ति और शक्ति का प्रतीक:
    काल भैरव को तामसिक प्रवृत्ति का देवता माना जाता है, और मदिरा को संकल्प और शक्ति का प्रतीक समझा जाता है। भक्तों की आस्था है कि मंदिर में चढ़ाई जाने वाली शराब स्वयं भगवान की मूर्ति द्वारा ग्रहण की जाती है, जिसे चमत्कार माना जाता है।

मंदिर में होने वाली विशेष पूजा और भोग विधान

मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश चतुर्वेदी के अनुसार, प्रतिदिन पांच बार भगवान काल भैरव को मदिरा का भोग अर्पित किया जाता है। विशेष पूजन-अर्चना के बाद पुजारी भक्तों द्वारा चढ़ाई गई मदिरा को पात्र में डालकर भगवान के मुख से लगाते हैं, और भक्तों के समक्ष पात्र खाली हो जाता है।

काल भैरव: उज्जैन के नगर सेनापति

उज्जैन के भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित यह मंदिर भगवान शिव के रौद्र और तमोगुणी भैरव स्वरूप को समर्पित है। उन्हें उज्जैन का नगर रक्षक यानी सेनापति माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उज्जैन में आने वाले भक्त यदि महाकाल के दर्शन करते हैं, लेकिन काल भैरव के दर्शन नहीं करते, तो उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।

शराबबंदी के बाद भक्तों की प्रतिक्रिया

1 अप्रैल 2025 से धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी लागू होने के कारण अब मंदिर में भक्तों को बाहर से मदिरा लाने की अनुमति नहीं है। कई श्रद्धालु पहले से ही अपने साथ मदिरा लेकर आए थे, लेकिन मंदिर प्रशासन द्वारा व्यवस्था किए जाने के कारण उन्हें इसे चढ़ाने की अनुमति नहीं मिली। इसके बजाय, भक्तों ने चने, चिरौंजी और नारियल का प्रसाद अर्पित किया।

आस्था और अनूठी परंपरा का सम्मान

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों के बावजूद, काल भैरव मंदिर में भोग की परंपरा बनी हुई है। मंदिर प्रशासन द्वारा किए गए नए प्रबंधों से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन हो, साथ ही शराबबंदी के नियमों का भी सम्मान किया जाए।

साभार… 

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