Posthumous honors: बीजापुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में माओवादी विरोधी अभियान के दौरान सीआरपीएफ की बहादुर स्निफर डॉग ‘रोलो’ की मधुमक्खियों के हमले से मौत हो गई। दो वर्षीय बेल्जियन शेफर्ड नस्ल की रोलो ने अपने संक्षिप्त लेकिन बहादुरी से भरे करियर में कई जवानों की जान बचाई और आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीआरपीएफ के महानिदेशक ने रोलो को उनकी अद्वितीय सेवा और वीरता के लिए मरणोपरांत प्रशस्ति पदक से सम्मानित किया है। यह सम्मान उन पशु सैनिकों के प्रति संवेदना और सम्मान का प्रतीक है, जो मानव सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करते हैं।
21 दिवसीय अभियान की वीरगाथा
रोलो छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे एक विशेष अभियान का हिस्सा थीं।
- यह अभियान 21 दिन तक चला, जिसमें 31 माओवादी मारे गए।
- रोलो इस अभियान में शहीद होने वाली इकलौती सदस्य रहीं।
मधुमक्खियों का अचानक हमला
- 27 अप्रैल को तलाशी अभियान के दौरान मधुमक्खियों के एक झुंड ने सुरक्षा दल पर हमला कर दिया।
- रोलो को लगभग 200 डंक मारे गए, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं।
- उन्हें तत्काल उपचार के लिए ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।
रोलो: वीरता की मिसाल
सीआरपीएफ अधिकारियों के अनुसार, रोलो ने अपने प्रशिक्षण और सेवाकाल में:
- आईईडी डिटेक्शन (विस्फोटक खोज) में महत्वपूर्ण योगदान दिया,
- कई बार जवानों को घात लगाकर किए जाने वाले माओवादी हमलों से बचाया,
- और माओवादी मूवमेंट की अग्रिम पहचान में मदद की।
श्रद्धांजलि
सीआरपीएफ के लिए रोलो सिर्फ एक “स्निफर डॉग” नहीं, बल्कि एक सहकर्मी, संरक्षक और वीर योद्धा थीं।
उनकी यह शहादत पशु सैनिकों की उस चुपचाप दी जाने वाली सेवा और बलिदान को उजागर करती है, जो युद्ध के मैदान में उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितनी किसी जवान की।
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