Tough Stance: नई दिल्ली — आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल (इंटरनेशनल डेलिगेशन) का गठन किया है, जिसमें कई प्रमुख दलों के नेताओं को शामिल किया गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का नाम इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के बाद सियासी हलकों में बहस तेज हो गई है।
🟠 ओवैसी का प्रतिनिधिमंडल में चयन, सोशल मीडिया पर पुराना वीडियो वायरल
ओवैसी को मोदी सरकार द्वारा डेलिगेशन में शामिल करने पर जहां एक ओर इसे विपक्ष की आलोचना के जवाब के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर संसद का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें ओवैसी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मजाकिया अंदाज़ में पूछते हैं, “मैं किसकी टीम का हिस्सा हूं?” इस पर शाह मुस्कराते हुए जवाब देते हैं, “मैं तो चाहता हूं कि आप अपनी स्वयं की टीम बनाएं…” वीडियो को आज की स्थिति से जोड़कर राजनीतिक विश्लेषण किए जा रहे हैं।
🌐 पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर कड़ा संदेश
असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने पर कहा, “पाकिस्तान के पाले आतंकियों द्वारा लंबे समय से निर्दोष नागरिकों की हत्या हो रही है, इसे दुनिया को बताना जरूरी है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय संदेश है और वह इसमें अपनी भूमिका गंभीरता से निभाएंगे।
🧭 ‘बीजेपी की बी टीम’ कहे जाने के आरोपों पर ओवैसी का जवाब
विपक्ष की ओर से बार-बार बीजेपी की बी टीम बताए जाने के आरोपों को ओवैसी ने सिरे से खारिज करते हुए कहा, “बीजेपी की सत्ता में वापसी मेरी वजह से नहीं, विपक्ष की नाकामी के कारण हुई है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर AIMIM सिर्फ पांच सीटों पर चुनाव लड़ती है और बीजेपी की सीटें घटती हैं, तो उसे दोष देना बेमानी है।
⚖️ RSS और बहुलवाद पर तीखा हमला
ओवैसी ने आरएसएस पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आरएसएस भारत को धार्मिक राज्य बनाना चाहता है। कोर्ट में दाखिल हो रहे कई केसों के पीछे भी आरएसएस समर्थकों का हाथ है।” उन्होंने चेताया कि भारत के बहुलवादी चरित्र को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं।
🔎 राजनीतिक दृष्टिकोण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ओवैसी को अंतरराष्ट्रीय डेलिगेशन में शामिल करना मोदी सरकार की एक रणनीतिक पहल है, ताकि पाकिस्तान पर सर्वदलीय रूप से दबाव बनाया जा सके। हालांकि विपक्ष इस कदम को राजनीतिक समीकरणों के तौर पर देख रहा है, जिससे आने वाले दिनों में संसद और मीडिया में इस विषय पर और बहस हो सकती है।
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